Coronavirus हवा में लंबे समय तक नहीं रहता, ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन या आपसी संपर्क से फैलता है संक्रमण : WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के हाल के एक प्रकाशन में कहा गया है कि कोविड-19 बीमारी का कारण बनने वाला वायरस मुख्य रूप से ‘श्वसन की सुक्ष्म बूंदों और निकट संपर्कों' के माध्यम से फैलता है और यह हवा में लंबे समय तक नहीं रहता है.
बीजिंग : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के हाल के एक प्रकाशन में कहा गया है कि कोविड-19 बीमारी का कारण बनने वाला वायरस मुख्य रूप से ‘श्वसन की सुक्ष्म बूंदों और निकट संपर्कों’ के माध्यम से फैलता है और यह हवा में लंबे समय तक नहीं रहता है. WHO ने कहा कि श्वसन संक्रमण विभिन्न आकारों की सूक्ष्म बूंदों के माध्यम से फैल सकता है. छींक आदि से कणों से संक्रमण (ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन) तब होता है, जब आपका निकट संपर्क उस व्यक्ति के साथ (एक मीटर के भीतर) होता है, जिसमें खांसी या छींकने जैसे श्वसन संबंधी लक्षण होते हैं या जिससे ये आपके शरीर में इन सुक्ष्म बूंदों को फैला सकते हैं. इनका आकार आमतौर पर 5-10 माइक्रोन होता है.
सरकारी समाचार पत्र ‘चाइना डेली’ ने डब्ल्यूएचओ के प्रकाशन के हवाले से बताया कि संक्रमित व्यक्ति के आसपास के वातावरण में सतहों या वस्तुओं को छूने से भी यह संक्रमण फैल सकता है. इसमें कहा गया है कि हवा में फैलने वाला संक्रमण ‘ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन’ से अलग है, क्योंकि यह सूक्ष्म बूंदों के भीतर जीवाणुओं की मौजूदगी को दिखाता है और ये जीवाणु आम तौर पर व्यास में पांच माइक्रोन से कम के छोटे कण के रूप में होते है.
प्रकाशन के अनुसार, चीन में कोरोना वायरस के 75,465 मरीजों के विश्लेषण में हवा में संक्रमण का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. मौजूदा सबूत के आधार पर डब्ल्यूएचओ कोरोना वायरस मरीजों की देखभाल कर रहे लोगों को खांसने या छींकने से बाहर आने वाली सूक्ष्म बूंदों और नजदीकी संपर्क से सावधानियां बरतने की सलाह देता है. जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के आंकड़े के अनुसार, 175 से अधिक देशों में अब तक कोरोना वायरस के कुल 1,002,159 मामले दर्ज किये गये हैं और 51,485 लोगों की मौत हुई है.