Bangladesh updates: शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने बांग्लादेश में हो रहे हिंसक प्रदर्शन और अपने इस्तीफे के पीछे अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है. शेख हसीना ने बताया है कि- ‘अमेरिका बांग्लादेश के सेंट मार्टिन आईलैंड पर मिलिट्री बेस बनाना चाहता था, जिसे मैंने अमेरिका को नहीं दिया और मुझे अपना पद छोड़ना पड़ा. मैंने इस्तीफा दिया ताकि अपने देश में लाशों की ढेर ना लगे, अगर मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता अमेरिका के सामने समर्पित कर दी होती तो आज मैं सत्ता में बनी रहती.’ शेख हसीना के इस बयान के बाद 3 किलोमीटर का यह भूखंड दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है. आखिर यह इतना क्यों महत्वपूर्ण है जिस पर अमेरिका की नजर थी?
अत्यंत महत्वपूर्ण जलमार्ग
रणनीतिक दृष्टिकोण से सेंट मार्टिन एशिया का सबसे महत्वपूर्ण द्वीप माना जाता है. इस द्वीप से बंगाल की खाड़ी और आसपास के पूरे समुद्री इलाके पर आसानी से नजर रखी जा सकती है. सेंट मार्टिन द्वीप तक दुनिया के किसी भी समुद्री मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है. यह बंगाल की खाड़ी के दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच एक सेतु का काम करती है. यह क्षेत्र व्यापार के लिए दुनिया भर के सभी देशों से संबंध स्थापित करने में अत्यंत सुविधा प्रदान करती है. यह द्वीप भारत और चीन के भी बेहद करीब है. इससे अमेरिका चीन और भारत जैसी दो बड़ी आर्थिक शक्तियों पर भी नजर रख सकता है और इस पूरे क्षेत्र में व्यापार को भी नियंत्रित कर सकता है. शेख हसीना का कहना है कि अमेरिका अपना मिलिट्री बेस बनाने के लिए इस द्वीप की संप्रभुता बांग्लादेश से मांग रहा था.
सेंट मार्टिन आइलैंड का इतिहास
सेंट मार्टिन का निर्माण 18वीं शताब्दी के अरब व्यापारियों के द्वारा हुआ था. अरब व्यापारियों ने इसे बसाया था और इसका नाम ‘जजीरा’ रखा था. यह बंगाल की खाड़ी के उत्तर पूर्वी भाग में एक छोटा सा आइलैंड है जो कॉक्स–बाजार टेकनाफ प्रायद्वीप के सिरे से लगभग 9 किलोमीटर दक्षिण में है. इसका कुछ भाग जलमग्न हो गया और दक्षिणी हिस्सा बांग्लादेश की मुख्य भूमि से अलग होकर एक द्वीप बन गया. ब्रिटिश शासन के दौरान इस द्वीप का नाम चटगांव था और तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर के नाम पर इसका नाम सेंट मार्टिन द्वीप रखा गया था. इसे बांग्लादेश का ‘कोकोनट आईलैंड’ और एकमात्र ‘कोरल आईलैंड’ भी माना जाता है.
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