20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Donald Trump: क्या डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से ईरान पर बढ़ेगा दबाव? 

Donald Trump: आइए जानते हैं क्या डोनाल्ड ट्रंप के वापसी से ईरान पर दबाव बढ़ेगा?

Donald Trump: ओपिनियन पोल्स यानी जनमत सर्वेक्षणों (Opinion polls) से पता चलता है कि रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच कांटे की टक्कर है. लेकिन लेबनान, इराक और यमन में ईरानी नेताओं और उनके क्षेत्रीय सहयोगियों को चिंता है कि डोनाल्ड ट्रंप 5 नवंबर होने वाली प्रेसिडेंट का चुनाव जीत सकते हैं और यह उनके लिए और अधिक परेशानी का कारण बन सकता है.

ईरानी, ​​अरब और पश्चिमी अधिकारियों के अनुसार, ईरान की मुख्य चिंता यह है कि डोनाल्ड ट्रंप इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला करने, चुन चुन कर हत्याएं करने और उनके तेल उद्योग पर कड़े प्रतिबंधों के माध्यम से अपनी “अधिकतम दबाव नीति” को फिर से लागू करने के लिए और कड़े नियम या फिर प्रतिबंध लगा सकते हैं. उन्हें उम्मीद है कि ट्रंप, जो 2017-21 में अमेरिका के राष्ट्रपति थे, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई पर खुद और इजराइल की ओर से तय की गई शर्तों पर परमाणु नियंत्रण समझौते को स्वीकार करके झुकने के लिए ज्यादा से ज्यादा दबाव डालेंगे.

इसे भी पढ़ें: महाराष्ट्र चुनाव से पहले उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सुरक्षा बढ़ाई गई

अमेरिकी नेतृत्व में इस संभावित बदलाव का मध्य पूर्व के शक्ति संतुलन पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है, और यह ईरान की विदेश नीति और आर्थिक संभावनाओं को नया आकार दे सकता है. विश्लेषकों का तर्क है कि चाहे अगला अमेरिकी प्रशासन हैरिस या फिर ट्रंप के नेतृत्व में हो, ईरान के पास वह प्रभाव नहीं रहेगा जो कभी था – मुख्य रूप से इजरायल के वर्षों पुराने सैन्य अभियान के कारण जिसका उद्देश्य गाजा में हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह सहित इस्लामिक गणराज्य के सशस्त्र प्रॉक्सी को कमजोर करना है.हालांकि ट्रंप के रुख को ईरान के लिए अधिक हानिकारक माना जाता है क्योंकि वे इजरायल का अधिक समर्थन करते हैं.

गल्फ रिसर्च सेंटर थिंक-टैंक के प्रमुख अब्देल अजीज अल-सागर ने कहा, “ट्रंप या तो ईरान पर बहुत कड़ी शर्तें रखेंगे या इजरायल को अपने परमाणु ठिकानों पर हमले करने देंगे. वह ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का पूरी तरह से समर्थन कर रहे हैं.” उन्होंने रॉयटर्स से कहा, “नेतन्याहू का सपना है कि ट्रम्प व्हाइट हाउस में वापस आएं.”

इसे भी पढ़ें: मुंबई पुलिस ने शुरू की लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया

नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ ईरानी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि तेहरान “सभी परिदृश्यों के लिए तैयार है. हमने दशकों से लगातार तेल निर्यात करने के तरीके खोजे हैं, कठोर अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए और व्हाइट हाउस में चाहे कोई भी हो, हमने बाकी दुनिया के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है.” लेकिन एक अन्य ईरानी अधिकारी ने कहा कि ट्रंप की जीत एक दुःस्वप्न (दुख देने वाली सपना ) होगी. वह इजरायल को खुश करने के लिए ईरान पर दबाव बढ़ाएगा. यह सुनिश्चित करेगा कि तेल प्रतिबंधों को पूरी तरह से लागू किया जाए. इससे ईरान को आर्थिक नुकसान होगा.

अक्टूबर में एक चुनावी भाषण में, ट्रंप ने ईरान के साथ युद्ध में जाने की अपनी अनिच्छा व्यक्त की, लेकिन कहा कि इजरायल को “पहले ईरानी परमाणु पर हमला करना चाहिए और बाकी के बारे में बाद में चिंता करनी चाहिए”. ट्रंप का ये बयान 1 अक्टूबर को इजरायल पर ईरान के मिसाइल हमले के जवाब में था.

इसे भी पढ़ें: कमला हैरिस की आर्थिक नीति आपदा- डोनाल्ड ट्रंप

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें