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हिज्बुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदला लेने क्या इजरालय के खिलाफ सीधे जंग में उतरेगा ईरान?

Hezbollah chief Hassan Nasrallah: इजरायल फिलहाल हिज्बुल्लाह को पूरी तरह से तबाह करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, क्योंकि यह संगठन हमास और हूती की तुलना में अधिक शक्तिशाली और बड़ा है.

Hezbollah chief Hassan Nasrallah: इजरायल की यह रणनीति काफी समय से चलती आ रही है कि वह अपने दुश्मनों को कभी माफ नहीं करता और उन्हें पूरी तरह खत्म करने के लिए किसी भी हद तक जाने से नहीं कतराता. हिज्बुल्लाह को मिटाने के प्रयास में भी इजरायल इसी नीति पर काम कर रहा है. 25 अगस्त को जब हिज्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह इजरायल को धमकी दे रहा था, तब शायद उसे यह अंदाजा नहीं था कि उसके पास अब गिने-चुने दिन ही बचे हैं. इजरायली सेना ने उसे बेरूत में उसके हेडक्वार्टर के भीतर ही मार गिराया.

नसरल्लाह की मौत सुनिश्चित करने के लिए इजरायल ने हरसंभव प्रयास किया. जिस इमारत के तहखाने में नसरल्लाह छिपा हुआ था, उस पर 80 टन वजनी बम गिराए गए. एक-एक टन के 80 बमों ने पूरी इमारत को मलबे में तब्दील कर दिया, और नसरल्लाह वहीं ढेर हो गया. इस मिशन के बाद इजरायल ने अपनी टीम का ऑडियो संदेश जारी किया, जिसमें फाइटर पायलट कहते सुने जा सकते हैं, “हम अपने दुश्मन को कहीं भी खोज निकालेंगे.”

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नसरल्लाह की मौत से ईरान भड़क गया है. उसने इस्लामिक देशों के संगठन OIC की बैठक बुलाई है और इजरायल को बदला लेने की धमकी भी दी है. नसरल्लाह की मौत पर ईरान ने 5 दिन का शोक भी घोषित किया है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ईरान सीधे इजरायल के खिलाफ युद्ध में उतरेगा, या फिर हमास, हूती और हिज्बुल्लाह की मदद से इजरायल पर बहुस्तरीय हमला करेगा?

इजरायल से क्या सीधे जंग करेगा ईरान?

रक्षा विशेषज्ञ रिटायर्ड मेजर ए.के. सिवाच के अनुसार, नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान काफी आक्रोशित है, जिससे युद्ध के तेज होने की संभावना बढ़ गई है. हालांकि, ईरान के इस संघर्ष में सीधे शामिल होने को लेकर अब भी संदेह बना हुआ है. इसकी वजह यह है कि अगर ईरान सीधे तौर पर युद्ध में कूदता है, तो अमेरिका को भी इसमें हस्तक्षेप करना पड़ेगा और उसे इजरायल की सहायता के लिए आगे आना होगा. इस स्थिति से बचने के लिए, ईरान संभवतः हमास, हूती और हिज़्बुल्लाह का सहारा लेते हुए लड़ाई जारी रखेगा और इन संगठनों को हथियारों और अन्य सहायता प्रदान करता रहेगा. हालांकि, इजरायल ने पिछले एक साल से चल रहे संघर्ष में हमास के लगभग 70 प्रतिशत लड़ाकों को खत्म कर दिया है.

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इजरायल फिलहाल हिज्बुल्लाह को पूरी तरह से तबाह करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, क्योंकि यह संगठन हमास और हूती की तुलना में अधिक शक्तिशाली और बड़ा है. इजरायल ने हिज्बुल्लाह को कमजोर करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, जिनमें इसके शीर्ष नेताओं पर हमले शामिल हैं. अब तक इजरायल हिज्बुल्लाह के प्रमुख नेता नसरल्लाह सहित 10 कमांडरों को मार चुका है, और अब केवल एक ही कमांडर बचा है जिसे इजरायल तलाश रहा है. इससे पहले, इजरायल ने हिज्बुल्लाह पर पेजर अटैक कर इसकी रीढ़ तोड़ दी थी, और अब वह इसके हथियारों के गोदामों को निशाना बनाकर ध्वस्त करने में जुटा है. फिलहाल, इजरायल का ध्यान हूती संगठन पर ज्यादा नहीं है.

हिज्बुल्लाह पूरी तरह से खत्म करने में जुटा इजरायल

सवाल उठ रहे हैं कि क्या इजरायली सेना हिज्बुल्लाह को खत्म करने के लिए लेबनान पर जमीनी हमला करेगी? और अगर ऐसा होता है, तो क्या ईरान इस युद्ध में सीधे तौर पर शामिल होगा? विशेषज्ञों का मानना है कि उस स्थिति में भी ईरान का युद्ध में सीधे कूदना संभव नहीं है. इसका मुख्य कारण उसकी कमजोर आर्थिक स्थिति और पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध हैं. हालांकि, इजरायल चाहता है कि ईरान सीधे युद्ध में शामिल हो, क्योंकि ऐसा होने पर अमेरिका भी इसमें हस्तक्षेप करेगा, जिससे हमास, हिज्बुल्लाह और हूती को समर्थन देने वाले ईरान को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा.

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इसके अलावा, ईरान के सामने एक और गंभीर चुनौती है – अपनी छवि को इस्लामिक दुनिया के सबसे बड़े और शक्तिशाली देश के रूप में बनाए रखना. यदि ईरान सीधे युद्ध में शामिल होता है और अमेरिका तथा इजरायल मिलकर उसे भारी नुकसान पहुंचाते हैं, तो उसकी इस प्रतिष्ठा को गहरा आघात लगेगा. इसी डर से ईरान ने अपने सुप्रीम लीडर खामेनेई को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया है, क्योंकि उसे शक है कि इजरायल उन्हें भी निशाना बना सकता है. अगर ऐसा होता है, तो ईरान को मजबूरन सीधे युद्ध में कूदना पड़ेगा. इस स्थिति में इजरायल ईरान के तेल इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाएगा, जिससे ईरान की आर्थिक रीढ़ टूट सकती है. इसलिए ईरान सीधे तौर पर युद्ध से बचने की कोशिश कर रहा है और हमास, हिज्बुल्लाह और हूती जैसे संगठनों के माध्यम से परोक्ष रूप से युद्ध लड़ना चाहता है.

नसरल्लाह की मौत के बाद बेरूत का हाल

नसरल्लाह की मौत और इजरायली हमले के बाद लेबनान की राजधानी बेरूत में तनाव और भय का माहौल है. स्थानीय लोग भविष्य को लेकर चिंतित हैं और सवाल कर रहे हैं कि लेबनान का आगे क्या होगा. क्या इजरायल फिर से 2006 की तरह लेबनान पर कब्जा करने की कोशिश करेगा? आजतक के संवाददाता अशरफ वानी के मुताबिक, बेरूत में स्थिति बहुत तनावपूर्ण है. 95% आबादी, जिसमें हिज्बुल्लाह  के लड़ाके और आम नागरिक दोनों शामिल हैं, सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर चुके हैं. नसरल्लाह के समर्थक बाजार बंद कराने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे कई स्थानों पर संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो रही है. सड़कें सुनसान पड़ी हैं, और लोग कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं.

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1992 से हिज्बुल्लाह का नेतृत्व कर रहा था नसरल्लाह

नसरल्लाह 1992 से ईरान समर्थित हिज्बुल्लाह का नेतृत्व कर रहा था. जब वह 32 साल की उम्र में संगठन का प्रमुख बना, तब वह पहले से ही इजरायल के खिलाफ संघर्षरत एक विद्रोही समूह का हिस्सा था. नसरल्लाह का जन्म 31 अगस्त 1960 को हुआ था, और वह 15 साल की उम्र में इजरायल विरोधी आंदोलन में शामिल हो गया था. 1982 में हिज्बुल्लाह की स्थापना हुई और नसरल्लाह इसके संस्थापक सदस्यों में से एक था. 2006 में उसके नेतृत्व में इजरायल को लेबनान से बाहर खदेड़ दिया गया. नसरल्लाह की मौत हिज्बुल्लाह के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है.

इजरायल ने हिज्बुल्लाह की ताकत को कमजोर किया

हिज्बुल्लाह का मुख्य उद्देश्य इजरायल को बर्बाद करना है, और यही कारण है कि इजरायल इसे हमास से भी बड़ा खतरा मानता है. नसरल्लाह ने संगठन के पास बड़े पैमाने पर हथियार इकट्ठा किए थे, जिनमें ऐसी मिसाइलें भी थीं जो इजरायल के दूरस्थ इलाकों को निशाना बना सकती थीं. इसके अलावा, हिज़्बुल्लाह के पास हजारों आतंकवादी थे. लेकिन इजरायल ने पिछले दो महीनों में उसकी रीढ़ तोड़ दी है. इजरायल ने पहले हिज्बुल्लाह की पूरी नेतृत्व को खत्म किया, और अब सिर्फ बदर यूनिट के कमांडर अबू अली रिदा ही बचे हैं. इजरायल के इन कदमों के बाद हिज्बुल्लाह का अस्तित्व गंभीर संकट में आ गया है, और संगठन अब लगभग अधमरा हो चुका है.

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