World Bank: गरीबों को लाभ पहुंचाने के लिए भारत ने डिजिटलीकरण का उठाया लाभ, विश्व बैंक चीफ ने की सराहना
दुनिया के भीतर डिजिटलीकरण के महत्व को समझना चाहिए क्योंकि यह गरीब देशों को भी देशभर के लोगों के साथ जुड़ने का मौका देता है. डिजिटलीकरण से पहले यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी और भारत ने सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम तैयार करने और इसका लाभ गरीबों तक पहुंचाने में अच्छा लाभ उठाया है.
विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने गुरुवार को कहा कि भारत ने सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम तैयार करने और उसका लाभ गरीबों तक पहुंचाने में डिजिटलीकरण का अच्छा लाभ उठाया है. उन्होंने यह भी कहा कि देश दक्षता में सुधार के लिये प्रशासनिक मोर्चे अभी काफी कुछ कर सकता है. विश्व बैंक की गरीबी पर हाल की रिपोर्ट के अनुसार कुछ देश नकद अंतरण प्रणाली और डिजिटलीकरण के माध्यम से कोविड -19 संकट के प्रभाव और गरीबी को कम करने में सफल रहे हैं.
भारत ने गरीबों को इस तरह पहुंचाया लाभ
डेविड मालपास ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक की सालाना बैठक के दौरान अलग से संवाददाता सम्मेलन में कहा, हमें दुनिया के भीतर डिजिटलीकरण के महत्व को समझना चाहिए क्योंकि यह गरीब देशों को भी देशभर के लोगों के साथ जुड़ने का मौका देता है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, डिजिटलीकरण से पहले यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी और भारत ने सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम तैयार करने और इसका लाभ गरीबों तक पहुंचाने में अच्छा लाभ उठाया है.
भारत को डिजिटलीकरण से मिला फायदा
मालपास ने कहा कि यह 2020 के घटनाक्रम के बाद प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि कार्यक्रमों से गरीबों पर संकट के प्रभाव को कम करने में डिजिटलीकरण का फायदा मिला. उन्होंने कहा, इसीलिए हम इसका स्वागत करते हैं. लेकिन मुझे लगता है कि भारत संघीय सरकार के स्तर पर, नागरिक समाज के स्तर पर तथा राज्य के भीतर दक्षता में सुधार के लिये प्रशासनिक मोर्चे अभी काफी कुछ कर सकता है.
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लाभार्थियों से सीधे जुड़ी सरकार
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2013 से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये 24.8 लाख करोड़ रुपये अंतरित किये गये हैं. इसमें से 6.3 लाख करोड़ वित्त वर्ष 2021-22 में अंतरित किये गये. वित्त वर्ष 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार, रोजाना औसतत 90 लाख से अधिक डीबीटी भुगतान का प्रसंस्करण किया गया. डीबीटी के जरिये विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं के तहत लाभ और सब्सिडी का भुगतान सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में किया गया. यह व्यवस्था न केवल प्रभावी साबित हुई बल्कि बिचौलियों की भूमिका भी समाप्त हुई.