यूरोप में फिर बढ़ रहे हैं कोरोना संक्रमण के मामले, युवाओं को गिरफ्त में ले रहा है डेल्टा वैरिएंट, दोनों डोज वैक्सीन का ये है प्रभाव…

यूरोप (Europe) में फिर बढ़ रहे हैं कोरोना संक्रमण के मामले, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बारे में अलर्ट किया है. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि करोना संक्रमण के मामलों में 10 सप्ताह की लगातार गिरावट के बाद यूरोप में फिर संक्रमण बढ़ रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 1, 2021 6:27 PM
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यूरोप (Europe) में फिर बढ़ रहे हैं कोरोना संक्रमण के मामले, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बारे में अलर्ट किया है. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि करोना संक्रमण के मामलों में 10 सप्ताह की लगातार गिरावट के बाद यूरोप में फिर संक्रमण बढ़ रहा है.

ब्रिटेन में के बारे में यह कहा जा रहा है कि वहां लोगों को यह लगा था कि अब कोरोना वायरस का खतरा खत्म हो चुका है और उन्हें लॉकडाउन से निजात मिल जायेगी, लेकिन वहां जिस तेजी से कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं वह चिंता बढ़ाती है.

ब्रिटेन में पिछले सप्ताह में एक लाख 20 हजार मामले सामने आये हैं, जो उसके पहले के सप्ताह से 48 हजार ज्यादा हैं. स्कूलों में इस बार संक्रमण के मामले बहुत ज्यादा सामने आये हैं. साथ ही अस्पताल में भरती होने और मरने वालों की संख्या भी बढ़ी है. हालांकि जानकारों का कहना है कि वैक्सीनेशन बहुत ज्यादा होने के कारण मृत्युदर कम है.

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एक्सपर्ट कह रहे हैं कि ब्रिटेन सहित यूरोप के अन्य देशों में कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट के कारण ही केस बढ़ रहे हैं. अधिकतर मामले इसी वैरिएंट के कारण सामने आ रहे हैं. जिन लोगों में संक्रमण दिख रहा है वे अधिकतर युवा है और बताया जा रहा है कि उन्होंने वैक्सीन का दोनों डोज नहीं लिया है.

ब्रिटेन के विशेषज्ञ कह रहे हैं कि डेल्डा वैरिएंट काफी संक्रामक है और यह महामारी को और शक्तिशाली बनाने में समर्थ है, ऐसे में यह जरूरी है कि वायरस को गंभीरता से लिया जाये और इसे नजरअंदाज ना किया जाये. यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी ने यह जानकारी दी है कि अगर कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज ले लिये जायें, तो यह डेल्टा वैरिएंट से लोगों की रक्षा करता है.

गौरतलब है कि डेल्टा वैरिएंट सबसे पहले भारत में पाया गया था और अब इसका म्यूटेशन डेल्टा प्लस में भी हो चुका है. डेल्टा वैरिएंट और डेल्टा प्लस के बारे में यह एक्सपर्ट का कहना है कि यह बहुत संक्रामक है लेकिन इसपर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर कोई डिटेल डाटा उपलब्ध नहीं है. इसलिए ब्रिटेन पर एक्सपर्ट की नजर है क्योंकि यह उनके लिए केस स्टडी बन गया है.

Posted By : Rajneesh Anand

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