बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ग्लासगो में चल रहे जलवायु सम्मेलन सीओपी-26 को संबोधित नहीं किया. इस अति महत्वपूर्ण वैश्विक सम्मेलन से शी जिनपिंग की अनुपस्थित पर अटकलें लगायी ही जा रही थी कि चीन ने गंभीर आरोप लगा दिये. ड्रैगन ने कहा कि सीओपी26 के आयोजकों ने शी जिनपिंग के संबोधन के लिए ‘वीडियो लिंक’ उपलब्ध नहीं कराया, जिसके चलते उन्हें लिखित बयान भेजना पड़ा.
जलवायु शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने वाले राष्ट्रपति जिनपिंग ने जलवायु संबंधी मुद्दों पर चीन के रुख का उल्लेख करने के लिए एक लिखित बयान भेजा है. जिनपिंग ने सीओपी-26 में भेजे गये अपने लिखित बयान में जलवायु चुनौतियों से संयुक्त रूप से निपटने के वास्ते सभी देशों से ‘कड़ी कार्रवाई’ का आह्वान किया.
साथ ही उन्होंने बहुपक्षीय सहमति तक पहुंचने, ठोस कदमों पर ध्यान केंद्रित करने, कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए त्रिस्तरीय योजना का प्रस्ताव रखा. यह पूछे जाने पर कि राष्ट्रपति ने सीओपी-26 को वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबोधित करने की बजाय लिखित बयान भेजना क्यों पसंद किया, इस पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा, ‘जैसा कि मैं जानता हूं, शिखर सम्मेलन के आयोजकों ने विडियो लिंक उपलब्ध नहीं कराया.’
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शी जिनपिंग ने पिछले साल मध्य जनवरी में म्यांमार की यात्रा से लौटने के बाद कोई विदेश दौरा नहीं किया है, जिसके पीछे कोरोना वायरस प्रकोप को बड़ा कारण माना जाता है. हालांकि, वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वैश्विक कार्यक्रमों को संबोधित करते रहे हैं. जिनपिंग ने 30 अक्टूबर को रोम में आयोजित हुए जी-20 शिखर सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित किया था.
जिनपिंग के सीओपी-26 में शामिल नहीं होने के बीच इस तरह की अटकलें लगायी जा रही हैं कि चीन द्वारा कार्बन उत्सर्जन संबंधी लक्ष्यों को लेकर उसके संकल्प की घोषणा करने के चलते चीनी राष्ट्रपति सम्मेलन से दूरी बना रहे हैं. सीओपी-26 को अपने लिखित संबोधन में, शी ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि सभी पक्ष संयुक्त रूप से जलवायु चुनौती से निपटने और इस ग्रह की रक्षा करने के लिए मजबूत कार्रवाई करेंगे, जो हम सभी के लिए साझा घर है.’
Posted By: Mithilesh Jha