चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल में दुनिया को व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकार के मुद्दों पर और तनाव का सामना करना पड़ेगा. विश्लेषकों ने यह आकलन जिनपिंग के सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) का तीसरी बार नेतृत्व संभालने के आधार पर किया है.
विदेश में प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन कर रहा अपनी आर्थिक शक्ति का इस्तेमाल
विश्लेषकों का कहना है कि जिनपिंग घरेलू स्तर पर नियंत्रण को कड़ा कर रहे हैं और चीन विदेश में प्रभाव बढ़ाने के लिए अपनी आर्थिक शक्ति का इस्तेमाल कर रहा है. अमेरिका आरोप लगाता रहा है कि चीन उसके गठबंधन, वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक नियमों को कमतर करने की कोशिश कर रहा है. कार्यकर्ताओं का आरोप है कि जिनपिंग सरकार उत्पीड़न को लेकर हो रही आलोचनाओं से ध्यान भटकाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार की परिभाषा को बदलने की कोशिश कर रहा है.
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चीन के सत्ता में वापसी से बढ़ेगा संघर्ष
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के विलियम केलेहन के अनुसार जिनपिंग कहते हैं कि विश्व व्यवस्था ध्वस्त हो रही है और चीन इसका उत्तर है. जिनपिंग जितना ही चीनी शैली को दुनिया के सार्वभौमिक मॉडल के तौर पर पेश करेंगे, उतना ही शीत युद्ध के काल की तरह संघर्ष बढ़ेगा.
लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति बने हैं जिनपिंग
जिनपिंग ने प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर होने, सैन्य विकास तेजी से करने और विदेश में बीजिंग के हितों की रक्षा करने का आह्वान किया है. उन्होंने उन नीतियों में बदलाव करने की घोषणा नहीं की है जिससे अमेरिका और पड़ोसियों के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण हुए हैं. जिनपिंग को परपंरा से परे रविवार को पार्टी नेतृत्व के लिए पांच साल का तीसरा कार्यकाल दिया गया. उन्हें सात सदस्यीय पार्टी की स्थायी समिति का सदस्य नामित किया गया और समिति ने उन्हें अपनी योजनाओं पर अमल करने की छूट दी.