यमन में राष्ट्रपति परिषद ने प्रधानमंत्री को किया बर्खास्त, जानें कौन हैं बिन मुबारक जिन्हें दी गई देश की कमान

यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रपति परिषद ने प्रधानमंत्री मईन अब्दुलमलिक सईद को सोमवार को बर्खास्त कर दिया जिसके बाद पूरी दुनिया चौंक गई. जानें क्या है मामले पर पूरी खबर

By Amitabh Kumar | February 6, 2024 9:02 AM
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यमन से एक बड़ी खबर आ रही है जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. दरअसल, यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रपति परिषद ने बड़ा सत्ता परिवर्तन करके सबको चौंका दिया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, परिषद ने देश के प्रधानमंत्री मईन अब्दुल मलिक सईद को पद से बर्खास्त करने का काम किया जो 2018 से प्रधानमंत्री के पद पर काबिज थे. सईद की जगह अब देश के विदेश मंत्री अहमद अवद बिन मुबारक देश के नए प्रधानमंत्री बनाए गये हैं.

बिन मुबारक साऊदी अरब के हैं करीबी

बिन मुबारक की बात करें तो उन्हें साऊदी अरब का काफी करीबी बताया जाता है. काउंसिल ने इस बदलाव की वजह सार्वजनिक नहीं की है. आपको बता दें कि ऐसा नहीं है कि ऐसी चीजें यमन में पहली बार देखने को मिली हैं, राजनीतिक उथल-पुथल पहले भी देखी गई है. साल 2014 से ही गृह युद्ध का सिलसिला यहां जारी है. आपको बता दें यह उलटफेर ऐसे समय में देखने को मिला है जब अमेरिका के नेतृत्व में सैन्य गठबंधन, यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों को टारगेट कर रहे हैं. साल 2014 में हूती आतंकियों ने देश की राजधानी साना को अपने कब्जे में ले लिया था. उसके बाद शासन में फेरबदल किया था. इसके कुछ दिनों के बाद साउदी अरब समर्थित लोगों ने हथियार उठा लिया था और इन विद्रोहियों से साल 2015 में ही जंग शुरू कर दी. इस युद्ध के कारण यमन पूरी तरह से बर्बादी होता चला जा रहा है.

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सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन के हस्तक्षेप की वजह से और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार की सत्ता बहाल करने के लिए 2015 से विद्रोहियों के साथ युद्ध जारी है. इस संघर्ष ने पहले से ही गरीब अरब देश यमन को बर्बाद करने का काम किया है. अबतक लड़ाकों और असैन्य नागरिकों सहित 1,50,000 लोग इस जंग में अपनी जान गंवा चुके हैं.

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लाल सागर में हलचल हो गई तेज

यदि आपको याद हो तो हाल के महीनों में हूती और सऊदी अरब ने संघर्ष विराम को लेकर बातचीत की थी, लेकिन अक्टूबर में इजराइल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद से शांति के प्रयास को धक्का लगा था. हूती विद्रोहियों ने फिलिस्तीनी लड़ाकों के खिलाफ इजराइल के अभियान के जवाब में लाल सागर में जहाजों पर हमले किए हैं जिसके जवाब में अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन में विद्रोहियों के कब्जे वाले ठिकानों को टारगेट किया.

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