काबुल की ऊंची इमारतें देख हैरान हैं तालिबान के युवा लड़ाके, कभी देखी नहीं थी शहर की चकाचौंध
20 साल पहले जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर शासन किया था, उस समय काबुल खंडहरों का शहर था. आज शहर आधुनिकता के रंग में रंग गया है. युवा लड़ाके इसे देखकर हैरान हैं.
तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर अफगानिस्तान को अपने कब्जे में ले लिया है. करीब 20 साल बाद फिर से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है. ऐसे में तालिबान के युवा लड़ाकों को काबुल की चकाचौंध और ऊंची इमारते हैरान कर रही हैं. बता दें कि ज्यादातर तालिबान लड़ाके गांव से आते हैं. उन्होंने पहली बार शहर की आबोहवा देखी है.
हजारों तालिबान लड़ाकों में से एक 22 साल के एजानुल्ला ने पीटीआई भाषा से कहा कि ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा था. काबुल की पक्की सड़कों पर ऊंचे-ऊंचे अपार्टमेंट, इमारतों में शीशे के कार्यालय और शॉपिंग मॉल उसे अचंभे में डाल रहे थे. गृह मंत्रालय के अंदर बेहतरीन फर्नीचर देखकर उसने कहा कि वह अपने कमांडर से पूछेगा कि क्या यहां रह सकता है.
तालिबान लड़ाके ने कहा कि मैं अब यहां से वापस नहीं जाना चाहता. बता दें कि मौजूदा काबुल अब वैसा नहीं है, जैसा 20 साल पहले के तालिबान शासन के दौरान हुआ करता था. पिछले कुछ सालों में काबुल ने बेहद तरक्की की है. नया काबुल पूरी तरह से पश्चिमी संस्कृति और आधुनिकता के रंग में रंगा है. जानकारों को कहना है कि एक बार फिर तालिबान शासन में काबुल 20 साल पीछे न चला जाए.
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एजानुल्ला ने कहा कि सड़कों पर जब महिलाओं को देखा तो हैरान रह गया. वे हमसे डरी हुई थीं. मैंने कहा कि डरने की जरूरत नहीं है, हम तुम्हे सुरक्षा देंगे, तुम हमारी बहनों की तरह हो. हम तुम्हे स्कूल जाने देंगे, पढ़ाई करने देंगे. बस हिजाब का खयाल रखना. एजानुल्ला के बातों से लगा कि जैसे तालिबान सचमुच बदल गया है. अब आने वाला समय ही बतायेगा कि तालिबान कितना बदला है.
1992 में सोवियत संघ की वापसी और कम्युनिस्ट शासन के बाद अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आया था. उस समय काबुल में खंडहर जैसे घर हुआ करते थे. इसी खंडहर पर तालिबान का शासन था. शहर की ज्यादातर सड़कें कच्ची या फिर टूटी हुई थीं. साल 2021 में तालिबान का शासन खत्म होने के बाद से अब तक काफी बदलाव आया है. पहले वहां टेलीविजन और संगीत पर पाबंदी थी जो अब नहीं है.
तालिबान के शासन काल में महिलाओं को घर से बाहर काम करने की इजाजत नहीं थी. बच्चियों के स्कूल जाने पर पाबंदी थी. मनोरंजन के साधन नहीं थे. संगीत पर भी पाबंदी थी. शहर वीरान रहता था. आज भी काबुल के लोगों को तालिबान लड़ाकों के रूप में लुटेरों का डर सता रहा है.
Posted By: Amlesh Nandan.