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25 साल बाद बिजली से रोशन हुए छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सल प्रभावित 7 गांव

कलेक्टर ने बताया कि सात गांवों डब्बाकोंटा, पिड़मेल, एकलगुडा, दुरामांगु, तुमबांगु, सिंगनपाड और डोकपाड में इस सप्ताह बिजली की आपूर्ति की गई. उन्होंने बताया कि सात गांवों में विद्युतीकरण से लगभग 342 परिवारों को लाभ हुआ है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के अन्य गांवों में भी जल्द बिजली पहुंचायी जायेगी.

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में नक्सली घटनाओं के कारण पिछले लगभग 25 वर्षों से अंधेरे में डूबे सात गांवों को पावर ग्रिड से बिजली मिली, जिसके बाद इन गांवों के 342 परिवारों ने जमकर खुशियां मनाईं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि इन गांवों को वामपंथी उग्रवाद का खामियाजा भुगतना पड़ा था. 1990 के दशक के अंत में नक्सलियों ने इन गांवों में लगे बिजली के खंभों और बुनियादी ढांचे को क्षतिग्रस्त कर दिया था, जिससे स्थानीय लोग बिजली आपूर्ति से वंचित हो गए थे. उन्होंने बताया कि कुछ घरों में एक बल्ब जलाने और पंखा चलाने के लिए सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन उसके रखरखाव के कारण परेशानी भी होती थी. सुकमा जिले के कलेक्टर हारिस एस ने बताया कि सरकार और प्रशासन जनता, विशेषकर अंतिम व्यक्ति तक राशन, बिजली आपूर्ति, पानी आपूर्ति आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

7 गांव के 342 परिवारों को मिला लाभ

कलेक्टर ने बताया कि इस क्षेत्र के सात गांवों डब्बाकोंटा, पिड़मेल, एकलगुडा, दुरामांगु, तुमबांगु, सिंगनपाड और डोकपाड में इस सप्ताह बिजली की आपूर्ति की गई. उन्होंने बताया कि सात गांवों में विद्युतीकरण से लगभग 342 परिवारों को लाभ हुआ है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के अन्य गांवों में भी जल्द बिजली पहुंचायी जायेगी. सुकमा बस्तर संभाग के सात जिलों में से एक है. यह राजधानी रायपुर से लगभग 400 किलोमीटर दूर है.

पुलिस कैंप लगाने के बाद विकास में मिली मदद

बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि क्षेत्र में छह पुलिस शिविर स्थापित करने से यहां विकास में मदद मिली है तथा कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दूरदराज के क्षेत्रों में लोगों तक पहुंचा है. सुंदरराज ने बताया कि इन गांवों में 1990 के दशक के अंत तक बिजली थी. माओवादियों द्वारा बिजली के खंभों और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाने के कारण लगभग 25 वर्षों तक ग्रामीण नियमित बिजली आपूर्ति से वंचित रहे. ग्रामीण सौर ऊर्जा पर निर्भर थे लेकिन कई घरों में बिजली की निरंतर पहुंच नहीं थी.

इन सात गांवों के लोगों को मिल रही बुनियादी सुविधाएं

उन्होंने कहा कि पिडमेल, डब्बाकोंटा, टोंडामरका, डब्बामरका, एल्मागुंडा, कर्रिगुंडम गांव में तथा अन्य गांवों में पुलिस शिविरों की स्थापना के बाद अब ग्रामीणों को उनकी बुनियादी सुविधाएं वापस मिल रही हैं. सुंदरराज ने बताया कि डब्बाकोंटा और पिडमेल भेजी-चिंतागुफा मार्ग पर स्थित हैं. डब्बाकोंटा और पिडमेल दोनों स्थानों पर शिविर हैं. उन्होंने बताया कि इन गांवों में सड़क आवश्यकता योजना (आरआरपी) के तहत ब्लैक टॉप सड़क का निर्माण कार्य जारी है और अगले कुछ महीनों में पूरा होने की उम्मीद है.

घने जंगलों में बसे हैं ये सात गांव

पुलिस अधिकारी ने बताया कि एकलगुडा गांव एरोबोर-भेजी मार्ग पर स्थित है तथा सिंगनपाड, डोकपाड, तुम्बांगु और दुरामंगु सभी किस्टाराम-चिंतलनार मार्ग पर हैं और इन गांवों में वर्तमान में कच्ची सड़क है. सुकमा जिले में बिजली विभाग के कार्यपालन अभियंता जोसेफ केरकेट्टा ने बताया कि भौगोलिक स्थिति और वामपंथी उग्रवाद को देखते हुए इन गांवों में बिजली की लाइन बिछाना और विद्युत सामग्री को चिह्नित स्थल तक पहुंचाना चुनौतीपूर्ण कार्य था. उन्होंने बताया कि ये सभी गांव घने जंगलों में और कई गांव तो बेहद संवेदनशील इलाकों में हैं.

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