Hanuman ji ki Aarti: हनुमान जी को संकटमोचन कृपा निधान कहा जाता हैं. हनुमान जी की दया और आशीर्वीद से व्यक्ति की सारी परेशानियां दूर हो जाती है. हनुमान जी की कृपा से सभी रोगों का निवारण हो जाता है, मन स्वच्छ और तेज रहता है और भय-भूत भाग जाते हैं. हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां अवतार माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि जो भी व्यक्ति हनुमान जी की पूजा के बाद उनकी आरती करता है, उसके सामने किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आती है.
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
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हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर लें.
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इसके बाद साफ कपड़े पहनकर पूर्व दिशा में अपना मुख कर बैठ जाएं.
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पाठ शुरू करने से पहले घी का दीपक जलाएं.
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उसके बाद तांबे के लोटे में साफ जल में गंगाजल मिला कर रखें.
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हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद आरती जरूर करें