उत्तराखंड में 4.5 किलोमीटर लंबी सिलक्यारा सुरंग परियोजना जरूरी सुरक्षा ऑडिट और टूटे ढांचे की मरम्मत के बाद फिर से शुरू होगी. सड़क मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी. सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी 900 किलोमीटर लंबी एवं सभी मौसम में इस्तेमाल में सक्षम ‘चार धाम यात्रा रोड’ का हिस्सा है. सरकार की 12 हजार करोड़ रुपये की इस महत्वकांक्षी परियोजना का मकसद उत्तराखंड के चार धाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के बीच हर मौसम के अनुकूल आवागमन मुहैया कराना है.
उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने की वजह से 41 मजदूर सुरंग के भीतर फंस गए थे, जिन्हें एक बचाव दल ने मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया. सुरंग के भीतर पिछले 17 दिनों से फंसे मजदूरों को तमाम कठनाइयों के बावजूद बाहर निकाल लिया गया. बचाव दल का हिस्सा रहे अधिकारी ने बताया कि सिलक्यारा सुरंग का सुरक्षा ऑडिट किया जाएगा. इस बीच टूटे ढांचे की मरम्मत और उसे ठीक करने की कोशिश भी की जाएगी. उन्होंने कहा कि सभी जरूरी एहतियात बरते जाएंगे और 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग परियोजना को फिर शुरू किया जाएगा.
जोजिला सुरंग परियोजना के प्रमुख हरपाल सिंह ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि सुरंग के एक हिस्से के ढहने के पीछे खराब भूवैज्ञानिक जांच, ग्राउंड सपोर्ट प्रणालियों को सही तरीके से लागू न करना, निर्माण के दौरान गलतियां, खराब डेटा निगरानी और निर्माण के दौरान खराब शमन उपाय या खराब पर्यवेक्षण नियंत्रण जैसे कारण हो सकते हैं. सिंह का विचार है कि सभी राजमार्ग और रेल सुरंगों की योजनाओं के तहत मुख्य सुरंग के समानांतर एक ‘एस्केप सुरंग’ भी योजना बनाई जानी चाहिए.
गौरतलब है कि उत्तरकाशी जिले की सिलक्यारा सुरंग से निकाले गए सभी 41 श्रमिकों की बुधवार को ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती किया गया है. यहां श्रमिकों के रक्त तथा अन्य प्रकार की महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जांचें कर ली गयी हैं और उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही मजदूरों के बारे में कोई निर्णय किया जाएगा. एम्स ऋषिकेश के चिकित्सा अधीक्षक आर बी कालिया ने इस बारे में कहा है कि सभी मजदूरों की रक्त, ‘रेडियोलॉजिकल’ व हृदय संबंधी जांचें कर ली गयी हैं. अब रिपोर्ट आने के बाद आगे कुछ तय किया जाएगा.
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