Agra: डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के 88वें दीक्षांत समारोह, आगरा में गुरुवार को प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विद्यार्थियों को मेडल प्रदान किया. इस दौरान एमबीबीएस में 11 गोल्ड मेडल जीतने वाली गोल्डन गर्ल हुमा जाफर सुर्खियों में छाई रही. हालांकि राज्यपाल के हाथों सम्मानित होने के बावजूद हुमा जाफर को अभी भी विश्वविद्यालय के चक्कर काटने पड़ेंगे, क्योंकि अभी तक उन्हें मार्कशीट नहीं मिली है.
हुमा जाफर का कहना है कि मेडल मिलना तो अच्छी बात है लेकिन आगरा विश्वविद्यालय की लचर कार्यप्रणाली के चलते अभी तक मुझे मार्कशीट नहीं मिली. हुमा जाफर ने बताया कि उन्होंने 2020-21 वर्ष में तृतीय प्रॉफ किया था. भविष्य में नीट पीजी की काउंसलिंग के लिए उन्हें मार्कशीट की आवश्यकता है. कॉलेज की तरफ से उन्हें प्रथम, द्वितीय और चतुर्थ प्रॉफ की मार्कशीट प्रदान कर दी गई है. कॉलेज में जब मार्कशीट के लिए पूछा गया तो जानकारी मिली कि विश्वविद्यालय से अभी मार्कशीट कॉलेज में ही नहीं आई है.
विश्वविद्यालय के 88 वे दीक्षांत समारोह में सर्वाधिक गोल्ड पाने वाली गोल्डन गर्ल हुमा जाफर इससे पहले बुधवार को अपने पिता और मां के साथ दीक्षांत समारोह के रिहर्सल में शामिल होने आई थी. इसके बाद वह विश्वविद्यालय परिसर में आई और उसने अपनी एमबीबीएस की मार्कशीट के बारे में जानकारी की तो उन्हें कहा गया कि मार्कशीट शायद दो-तीन दिन में कॉलेज में पहुंचा दी जाएगी.
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हुमा जाफर का कहना है कि उनके साथ अभी तक कॉलेज के करीब 174 एमबीबीएस के छात्र-छात्राओं की मार्कशीट उन्हें प्रदान नहीं की गई है. हुमा का कहना है कि विवि ने कॉलेज में मार्कशीट ही नहीं पहुंचाई.
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में इससे पहले आम दिनों में भी छात्र छात्रा शिक्षा से संबंधित कागजातों के लिए परेशान होते हुए देखे गए हैं. लेकिन, जिस छात्रा को विश्वविद्यालय ने गोल्डन गर्ल बनाकर 88में दीक्षांत समारोह में प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मेडल दिलवाया, वही गोल्डन गर्ल अपनी मार्कशीट के लिए विश्वविद्यालय के चक्कर काट रही है.
विश्वविद्यालय के कंट्रोलर डॉक्टर ओम प्रकाश का कहना है कि एमबीबीएस के सभी विद्यार्थियों की मार्कशीट प्रिंट करा दी गई है. लेकिन, कॉलेज की तरफ से मार्कशीट को अभी प्राप्त नहीं किया गया है. इसीलिए विद्यार्थियों को मार्कशीट नहीं मिल पाई है.
हुमा जाफर ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई में हमेशा टॉप किया. वह कहती हैं इंटरमीडिएट में ही उन्होंने तय कर लिया था कि वह डॉक्टर बनेंगी. उन्हें बचपन से ही बायोलॉजी में इंटरेस्ट था. यही वजह थी कि वह एमबीबीएस करने आगरा एफएच मेडिकल कॉलेज आ गईं और 11 मेडल जीतकर गोल्डन गर्ल का खिताब अपने नाम किया. हुमा जाफर के पिता दीवान जाफर हुसैन खुद बिहार-झारखंड पीसीएस टॉपर रहे हैं. वर्तमान में वह बिहार अल्पसंख्यक विभाग में जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत हैं.