UP Election 2022: तमाम अटकलों को दरकिनार करते हुए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (Pragatisheel Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव (Shivpal yadav) ने चुनावी समर में मौजूदगी दिखा दी है. शिवपाल यादव ने ऐसा सियासी दांव चला है, जिसने समाजवादी पार्टी (SP) की मुश्किलों में इजाफा कर दिया है. अमूमन यादव और मुस्लिम वोट बैंक को समाजवादी पार्टी अपने पाले में मानती रही है. फिर चाहे 2017 हो या फिर 2012 का चुनाव, समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम और यादव चेहरों को जमकर टिकट देकर विधानसभा चुनाव लड़वाए थे.
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इस बार चाचा शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा ने सपा का गणित गड़बड़ाने का काम किया है. कुछ दिनों पहले तक कयास लग रहे थे कि चाचा-भतीजे का मिलन हो सकता है. उत्तर प्रदेश के नए चुनावी समीकरण गढ़े जा सकते हैं. मगर, चाचा शिवपाल यादव की वृंदावन से शुरू की गई परिवर्तन यात्रा के अपने ही अलग मायने हैं. ताजनगरी आगरा में शिवपाल उन गांवों में जनसंपर्क कर रहे हैं, जो यादव बाहुल माने जाते हैं.
जनसंपर्क वाले इलाकों में वोटिंग 80 फीसदी से ऊपर रहता है. कार्यकर्ताओं के प्रति शिवपाल यादव का झुकाव और लगाव उन्हें जमीन से जोड़ने का काम करता है. अगर प्रसपा से यादव या मुस्लिम वोट जुड़ता है तो फिर इसका सीधा असर सपा पर होगा. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि प्रसपा जितनी ज्यादा सक्रियता दिखाएगी, उसका सियासी फायदा आने वाला कल ही तय करेगा. मगर समाजवादी पार्टी के हिस्से के वोट बैंक में शिवपाल यादव की पार्टी सेंधमारी जरूर कर देगी. ऐसे में तय माना जा रहा है कि चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश का अलगाव का फायदा भाजपा के लिए होगा.
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समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने एक तरफ कानपुर से यूपी चुनाव का आगाज कर दिया है. अखिलेश यादव की विजय रथ यात्रा जाजमऊ से शुरू होकर चार जिलों में घूमते हुए कानपुर देहात में समाप्त होगी. दो दिन में यात्रा करीब 190 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. दूसरी ओर प्रसपा मुखिया शिवपाल यादव ने कान्हा की नगरी मथुरा से सामाजिक परिवर्तन यात्रा से चुनावी रैलियों का आगाज किया है.
(रिपोर्ट: मनीष गुप्ता, आगरा)