Aligarh News: अलीगढ़ देश भर में दशहरे पर रावण दहन की तैयारी शुरू हो गई है. वहीं उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद में भी दशहरे में रावण दहन के लिए पुतला तैयार है. इस पुतले के लिए पिछले एक महीने से तैयारी की जा रही थी. इसे तैयार करने वाला मुस्लिम परिवार है, जो पिछले तीन पीढ़ियों से रावण, कुंभकरण, मेघनाथ आदि के पुतले बना रहा है. इस काम में इनके परिवार की महिलाएं भी साथ देती हैं. बुलंदशहर के रहने वाले अशफाक अपने 12 सदस्यीय परिवार के साथ अलीगढ़ के नुमाइश मैदान में डेरा डाले हैं. अशफाक पिछली तीन पीढ़ियों से दशहरे पर रावण का पुतला बनाते हैं. नुमाइश मैदान पर दशहरे के आयोजन के लिए जी-जान से तैयारी में जुटे हैं. अशफाक का परिवार एक महीने से पुतलों को तैयार करने में जुटा है, ताकि दशहरे में बुराई पर अच्छाई की जीत एक संदेश समाज को दिया जा सके, एक महीने की कड़ी मेहनत से तैयार होने वाले पुतले को जलने में चंद सेकेंड लगते हैं. इसे बनाने के लिए अशफाक अपने इस पुश्तैनी काम को बड़ी शिद्दत से करते हैं. अशफाक कहते हैं कि उन्हें धन से मतलब नहीं है. लेकिन, जब तालियां बजती हैं, तो हौसला बढ़ता है. हालांकि महंगाई में अब पुतला बनाना अशफाक को महंगा पड़ रहा है, पिछले साल 50 हजार रुपये का घाटा भी हो गया था.
अशफाक अलीगढ़ में इस बार दशहरे में लोगों को कुछ नया दिखाने जा रहे हैं, जिसमें भगवान राम शक्ति बाण से रावण को मारते हुए लोगों को दिखेंगे. इसके अलावा रावण हंसता हुआ दिखेगा और रावण की ढाल घूमती हुई दिखेगी. वहीं, इस दशहरा में लंका दहन का नजारा भी लोग देखेंगे. अशफाक ने रावण में जान डालने की पूरी कोशिश की है.
Also Read: आगरा: विवेचना में सामूहिक दुष्कर्म की धारा हटाने पर दारोगा निलंबित, थाना प्रभारी पर भी गिर सकती है गाजअशफाक इस दशहरे में रावण, कुंभकरण, मेघनाथ का पुतला बनाने के बाद आगरा की कृष्ण लीला का काम करते हैं. वहीं, जब वापस घर आते हैं तो शादियों की बुकिंग आ जाती है, जिसमें वह आतिशबाजी का काम करते हैं. वहीं मुसलमान होने के चलते हिंदू पर्व से जुड़े पुतले आदि बनाने पर अशफाक कहते हैं कि इससे हमें हौसला मिलता है. ये हमारी रोजी-रोटी है. उन्होंने कहा कि हिंदू और मुसलमान हमारे लिए बराबर हैं. अशफाक ने बताया कि हमें भेदभाव से कोई मतलब नहीं, हमें काम से मतलब है.
अशफाक दशहरे को लेकर बताते हैं कि उन्होंने दिल्ली से लेकर नागपुर तक काम किया है. मुंबई, सूरत, हरियाणा में काम कर चुके हैं और इससे हमारा हौसला बढ़ता है कि हम कार्यक्रम को अच्छे तरीके से दिखाएं, जिससे पब्लिक तालियां बजाए. रुपए बचाने से मतलब नहीं है. उन्होंने बताया कि तालियां जब बजती है तो हौसला बढ़ता है.
Also Read: अलीगढ़ में दुकान बंद कर घर लौट रहे ज्वैलर्स को बदमाशों ने गोली मारकर 80 हजार कैश , सोने के आभूषण लूटेअशफाक के छोटे भाई शौकत अली भी तीन पीढ़ियों से चले आ रहे काम को आगे बढ़ा रहे हैं . शौकत बताते हैं कि पिछले साल की अपेक्षा महंगाई ज्यादा है. पहले 700 रुपए में 20 बांस मिलते थे अब 900 रुपए दाम हो गया है. रद्दी, पेपर, चिपकने का पदार्थ सब महंगा हो गया है. पिछले साल घाटा भी हुआ था. पुतला बनाने का सामान ज्यादातर अलीगढ़ से लेते हैं, बाकी सामान दिल्ली, आगरा से लिया जाता है. उन्होंने बताया कि इस बार रावण दहन में कुछ नया दिखेगा. जिसमें रावण की गर्दन घूमेगी और रावण हंसेगा और उसकी सोने की लंका भी लोगों को देखने को मिलेगी, जिसमें 12 दरवाजे होंगे और राक्षस भागते हुए दिखेंगे. इस सोने की लंका को जलता हुआ दिखाया जाएगा.
मुसलमान होते हुए हिंदुओं के पर्व में शरीक होने पर शौकत कहते हैं कि यह हमारा काम है और हमें खुशी होती है. हमें कोई एलर्जी नहीं है. यह हमारी रोजी-रोटी है. हमें खुशी होती है कि इससे हमारी रोज-रोटी चलती है. साल भर से हम इसका इंतजार करते हैं. उन्होंने कहा कि दशहरा असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है. रावण ने गलत काम किया था, तो उसका दंड उसे मिला था. वह सीताजी का अपहरण कर ले गए था. राम ने रावण का सर्वनाश कर दिया. शौकत कहते हैं कि धर्म की राह पर चलना चाहिए. देश हमारा है, कभी भी हिंदू-मुस्लिम भेदभाव नहीं करना चाहिए. यह नेताओं की चाल होती है.