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अलीगढ़ में 17 बार निर्दलीय चुनाव हार चुके पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे डॉक्टर बेटा, मेयर पद पर किया नामांकन

up nikay chunav: एक डॉक्टर फैमिली ने निर्दलीय चुनाव लड़कर अलीगढ़ में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. देहली गेट के राधा की सराए के रहने वाले डॉ अमरनाथ राजनीति की पाठशाला में दाखिला लेने के बाद 17 चुनाव लड़ चुके है. हालांकि वह एक भी चुनाव जीत नहीं सकें.

अलीगढ़. अलीगढ़ में एक डॉक्टर का परिवार 19वीं बार निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहा है. पिता ने 17 बार निर्दलीय चुनाव लड़े. वहीं उनकी परंपरा को उनका बेटा डॉक्टर एलबी दयाशंकर बढ़ा रहे हैं. नगर निकाय चुनाव में एक से बढ़कर एक दिग्गज मैदान में है. लेकिन एक डॉक्टर फैमिली ने निर्दलीय चुनाव लड़कर अलीगढ़ में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. देहली गेट के राधा की सराए के रहने वाले डॉ अमरनाथ राजनीति की पाठशाला में दाखिला लेने के बाद 17 चुनाव लड़ चुके है. हालांकि वह एक भी चुनाव जीत नहीं सकें. वहीं अब उनकी परंपरा को उनके पुत्र डॉक्टर एलबी दयाशंकर मेयर का चुनाव लड़ कर आगे बढ़ा रहे हैं. डाक्टर परिवार का यह निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में 19 वां चुनाव है. सोमवार को उन्होंने कलेक्ट्रेट में महापौर पद के लिए नामांकन किया. डॉ एलबी दयाशंकर के पिता डा अमरनाथ नौ बार अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र से और सात बार विधानसभा क्षेत्र और एक बार चेयरमैन पद के लिए चुनाव लड़े. लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके. हर बार पूरे जोश के साथ चुनावी मैदान में रहे.

1971 से डॉ अमरनाथ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे

डॉ अमरनाथ ने 1971 से चुनाव लड़ना शुरू किया. डॉ अमरनाथ अंबेडकर के विचारों से प्रभावित थे. इसलिए नाम के आगे गुप्ता नहीं लगाया. अमरनाथ 1977 के लोकसभा चुनाव में पर्चा भरा था. इस दौरान उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सर्वाधिक 13347 वोट पाकर तीसरे स्थान पर थे. हालांकि, अमर नाथ हर बार निर्दलीय चुनाव लड़े और जमानत जब्त होती रही. लेकिन, हार नहीं मानी. वहीं उनके पुत्र डॉक्टर एलबी दयाशंकर 2018 में विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद महापौर का लड़ने जा रहे हैं. यह उनके परिवार का निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 19 वां चुनाव है. डॉ अमरनाथ ने 1971 में लोकसभा चुनाव लड़ा. जिसमें 2996 मत लेकर सातवें स्थान पर है. फिर 1974 में अलीगढ़ शहर से विधानसभा लड़ा. 1977 में लोकसभा का पर्चा भरा. 1980 में विधानसभा चुनाव लड़े. 1985, 1989, 1981, 1993 में विधानसभा चुनाव लड़ा. इसी तरह लोकसभा का 1980, 1984, 1989, 1991 और 1998 में चुनाव लड़ा.

संविधान चुनाव लड़ने की इजाजत देता है

डॉ अमरनाथ के पुत्र डॉक्टर एलबी दयाशंकर बताते हैं कि उनका मकसद सत्ता के शिखर पर पहुंचना नहीं है. उनके पिता हर बार हारे, फिर भी चुनाव लड़ते रहे. क्योंकि यह अधिकार हमें संविधान ने दिया है. यही लोकतंत्र की खूबसूरती है. उन्होंने बताया कि पिता अमरनाथ ने आखिरी चुनाव 1996 में अलीगढ़ नगर पालिका के चेयरमैन के रूप में लड़ा था. फिर राजनीति से सन्यास ले लिया. उन्होंने कहा कि राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र होनी चाहिए. वहीं समाज सेवा के रूप में जीवन पर्यंत उनके प्रयास जारी रहेंगे.

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अविवाहित निस्वार्थ भाव से करता है सेवा

मेयर पद की दावेदारी कर रहे डॉक्टर एलबी दयाशंकर ने बताया कि वह किसी भी संवैधानिक पद पर नहीं रहे. लेकिन मेरा मानना है कि ग्राम पंचायत और नगर पंचायत चुनाव वास्तव में सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से बेहतरीन समाज कार्य करने का प्लेटफार्म है. डॉ एलबी दयाशंकर उच्च शिक्षित मेडिकल ट्रिपल ग्रेजुएशन के साथ अविवाहित है और राजनीति के क्षेत्र में अविवाहित होना आज के समय में एक बड़ा नैतिक कारण मानते है. क्योंकि इससे व्यक्ति बिना किसी पारिवारिक दबाव के निस्वार्थ भाव से समाज सेवा कर सकता है. एलबी दयाशंकर ने बताया कि जनप्रतिनिधियों के लिए आयु सीमा की अनिवार्यता हो, साथ ही दो जगह से चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होना चाहिए.

पिता के मिशन को बेटा कर रहा पूरा

डॉ अमरनाथ के पुत्र डॉक्टर एलबी दयाशंकर पिता की समाज सेवा के मिशन को पूरा करने की बात कह रहे हैं. देहली गेट स्थित सराय राधा में वे सत्यव्रत अनुपम संस्थान के माध्यम से समाज सेवा कर रहे हैं. इस डॉक्टर परिवार को अलीगढ़ में सर्वाधिक निर्दलीय चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड है. यह परिवार चुनाव शौक के लिए नहीं, बल्कि एक मिशन के रूप में लड़ रहे हैं. सन् 2009 में डॉ अमरनाथ का निधन हो गया. इसके बाद डाक्टर एलबी दयाशंकर ने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे है.

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