Prayagraj: माघ मेले के अंतिम स्नान पर्व माघी पूर्णिमा पर रविवार को लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई. ये सिलसिला लगातार जारी है और संगम की रेती पर हर-हर महादेव और हर-हर गंगे के उद्घोष सुनाई दे रहे हैं. संगम समेत गंगा के 17 घाटों पर श्रद्धालु माघी पूर्णिमा पर स्नान की डुबकी लगा रहे हैं. इसक साथ कल्पवासी अपने घरों के लिए विदा होने लगे हैं.
प्रयागराज मेला प्राधिकरण के मुताबिक सुबह नौ बजे तक लगभग 10 लाख श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी लगा. एडीएम मेला विवेक चतुर्वेदी बाहर से आये श्रद्धालुओं के साथ स्थानीय भीड़ भी माघी पूर्णिमा स्नान के लिए लगातार आ रही है. पौष पूर्णिमा छह जनवरी से माघ मेला प्रारंभ हुआ, जो ठीक एक माह तक चला. आज माघी पूर्णिमा स्नान के साथ ही एक माह का कल्पवास समाप्त हो गया है.
स्नान, दान और ध्यान के बाद कल्पवासी यहां से विदाई ले रहे हैं. माघी पूर्णिमा पर माघ मेले में मास पर्यंत कल्पवास करने वाले संतों-भक्तों के शिविरों में सत्यनारायण भगवान की कथाओं का आयोजन किया गया. कल्पवासियों ने आज गंगा में डुबकी लगाकर अपने शिविर आकर तीर्थ पुरोहितों के मंत्रोच्चार के बीच पूजन कर पूर्वजों एवं समस्त देवी-देवताओं को नमन करके उनका आशीष मांगा.
इसके बाद अपने-अपने घर की ओर रुख करने लगे. वहीं संत भी स्नान करके आश्रम की ओर लौटने लगे, जबकि कुछ संत महाशिवरात्रि तक प्रयाग में प्रवास करके भजन-पूजन करेंगे. वह महाशिवरात्रि पर संगम का स्नान करने के बाद लौटेंगे.
प्रयागराज से कल्पवासी प्रसाद स्वरूप जौ और तुलसी का पौधा साथ ले गए. जौ के पौधे को वह अपने घर में पूजन स्थल एवं तिजोरी में रखेंगे. कल्पवास आरंभ करने पर उन्होंने शिविर के बाहर जौ बोकर तुलसी का पौधा रोपा था. प्रतिदिन सुबह व शाम उसका पूजन करते करते रहे.
कल्पवास पूर्ण होने पर ईश्वर के प्रसाद स्वरूप उसे लेकर गए. माह भर साथ रहकर भजन-पूजन करने वाले कल्पवासियों की विदाई की बेला आई तो वह भावुक हो गए. एक-दूसरे के गले लगे तो आंखें नम हो गईं. मोबाइल नंबरों का आदान-प्रदान कर सुख-दुख में साथ निभाने की शपथ भी ली.कल्पवासियों को लौटने के दौरान प्रमुख चौराहों पर जाम की स्थिति से रोकने के लिए अतिरिक्त मजिस्ट्रेटों की ड्यूटी लगाई गई है.
मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को लेकर विशेष इंतजाम किए गए हैं. काली घाट, राम घाट, ओल्ड जीटी, महावीर घाट के अलावा संगम पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है. त्रिवेणी, काली मार्ग के अलावा सभी पांटून पुलों पर आस्थावानों की लंबी कतारें हैं.
ज्योतिषाचार्य जितेंद्र शास्त्री के मुताबिक इस बार माघी पूर्णिमा पर आयुष्मान योग और सौभाग्य योग का संयोग इसे बेहद खास बना रहा है. वहीं रवि पुष्य योग और स्वार्थ सिद्धि योग के कारण इस दिन का महत्व और बढ़ गया है. एक साथ चार महायोगों के मिलन पर तीर्थराज प्रयागराज में पवित्र स्नान का पुण्य कई गुना ज्यादा मिलता है.
पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ शनिवार रात 9:29 बजे से हो गया, वहीं इसका समापन आज रात 11:58 मिनट पर होगा. पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रमा हैं, जो मन के कारक हैं. पूर्णिमा व्रत से मन की चंचलता दूर होती है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन देवी-देवता पृथ्वी लोक पर आते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं.