UP News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय में काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर मंगलवार को भी समय की कमी के कारण बहस पूरी नहीं हो सकी. विपक्षियों की ओर से कोर्ट के समक्ष लिखित हलफनामा दाखिल किया गया, तो वही याची ने जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट ने समय मांगा. न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने मामले पर सुनवाई अधीनस्थ न्यायालय के मंदिर परिसर में सर्वे कराने के आदेश पर 30 अप्रैल तक रोक लगा दी. मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी. साथ ही कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से किसी वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा पक्ष न रखने को लेकर नाराजगी जाहिर की. याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकबी ने लिखित बहस दाखिल किया.
गौरतलब है कि 8 अप्रैल 2021 को वाराणसी की सीनियर डिवीजन सिविल ने मामले में सुनवाई करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद का पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया था. कोर्ट ने एएसआई से खुदाई कराकर सर्वेक्षण के जरिए सत्यता का पता लगाने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच का आदेश दिया था. मस्जिद के पक्षकारों ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिसपर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सिविल कोर्ट के आदेश और 1991 में दायर मुख्य मुकदमे की कार्यवाही पर भी अगली सुनवाई तक रोक लगाई थी.
वाराणसी की सिविल कोर्ट में हिंदू पक्षकारों की ओर से 1991 में ज्ञानवापी में नए मंदिर निर्माण और पूजा पाठ के अधिकार को लेकर मुकदमा दाखिल किया गया था. इसके बाद मुकदमें को लेकर 1997 में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. हाईकोर्ट से स्टे होने के बाद कई वर्षों तक वाद लम्बित रहा.
इसके बाद 10 दिसंबर 2019 को विशेश्वर नाथ मंदिर की ओर से वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज सीनियर डिविजन कोर्ट में आवेदन देकर ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अपील की और दावा किया की इसके नीचे काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरातात्विक अवशेष हैं. भूतल में एक तहखाना है. जिसमें 100 फुट गहरा शिवलिंग है. मंदिर का निर्माण हजारों वर्ष पहले 2050 विक्रमी संवत में राजा विक्रमादित्य ने, फिर सतयुग में राजा हरिश्चंद्र और 1780 में अहिल्यावाई होलकर ने जीर्णोद्धार कराया था.