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वैक्सीन और अर्थव्यवस्था

कोरोना वायरस के संक्रमण से स्थायी बचाव का एक ही उपाय है कि व्यापक स्तर पर लोग टीकों की खुराक लें.

ढ़ साल से अधिक समय से जारी महामारी आर्थिक विकास की राह में बड़ी बाधा साबित हुई है. कोरोना वायरस के संक्रमण से स्थायी बचाव का एक ही उपाय है कि व्यापक स्तर पर लोग टीकों की खुराक लें. इसीलिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का यह कहना पूरी तरह से सही है कि अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी की दवाई टीकाकरण है. अब तक देश के 73 करोड़ लोगों को टीके की पहली या दोनों खुराकें दी जा चुकी हैं.

इससे एक तो उनका बचाव सुनिश्चित हो गया है क्योंकि अब तक के अनुभवों के आधार पर कहा जा सकता है कि जिन लोगों ने वैक्सीन ली है, वे या तो संक्रमण की चपेट में नहीं आते या अगर वे संक्रमित होते भी हैं, तो उन्हें गंभीर बीमारी नहीं होती. ऐसे लोग बिना किसी डर या आशंका के अपने कारोबारी या पेशेवर जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं. जब आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयेगी, तभी आर्थिक वृद्धि दर में भी बढ़ोतरी होगी. महामारी की दूसरी लहर, जो पिछले साल की तुलना में बहुत अधिक आक्रामक संक्रमण लेकर आयी थी और देश के बड़े हिस्से में अफरातफरी मच गयी थी, के दौरान वृद्धि दर के संतोषजनक रहने के पीछे टीकाकरण अभियान का बड़ा योगदान रहा है.

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के नतीजों के आधार पर शेष तिमाहियों की दरों के उत्साहजनक रहने की उम्मीदें मजबूत हो गयी हैं. बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेखांकित किया है कि कोरोना महामारी से नुकसान की तुलना में आर्थिक भरपाई अधिक तेजी से हो रही है. पहली लहर के समय संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए लॉकडाउन लगाना पड़ा था.

तीन माह से अधिक के लॉकडाउन के बाद भी कई महीनों तक देश के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह की पाबंदियां लगानी पड़ी थीं. इस वजह से पिछले वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों में वृद्धि दर ऋणात्मक हो गयी थी यानी, तकनीकी रूप से वह आर्थिक मंदी का दौर था. उस अनुभव के कारण दूसरी लहर के असर को लेकर देश आशंकित था, किंतु टीकाकरण अभियान तथा सरकार के राहत उपायों ने अर्थव्यवस्था को बड़ा आधार दिया.

संक्रमण के हजारों मामले अब भी आ रहे हैं और कुछ राज्यों में महामारी का प्रकोप बहुत अधिक है. इससे तीसरी लहर की आशंका भी है. यह ठीक है कि अब तक के अनुभवों से लाभ उठाते हुए किसी भी स्थिति का सामना किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सबसे अधिक जरूरी यह है कि आबादी के बड़े हिस्से में संक्रमण को रोकने की प्रतिरोधी क्षमता आ जाए. करोड़ों लोगों ने अब भी टीके की खुराक नहीं ली है. कुछ समय से टीकों की आपूर्ति तेजी से बढ़ी है और हर रोज वैक्सीन लेनेवालों की संख्या में बढ़त हो रही है. अब अभियान को उन लोगों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिनमें हिचक है. आर्थिक वृद्धि बरकरार रहे, इसके लिए संक्रमण से पूर्ण बचाव जरूरी है.

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