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ई- कॉमर्स पोर्टल को मदद करने को लेकर बैंकों के खिलाफ कैट ने उठायी आवाज, RBI को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की

Bengal news, Asansol news : अमेजॉन, फ्लिपकार्ट सहित अन्य ई-कॉमर्स पोर्टलों से सामान खरीदने पर बैंकों द्वारा दिये जाने वाले कैश बैक डिस्काउंट (Cash back discount) को देश के व्यापारियों को बर्बाद करने की दिशा में सबसे बड़ा षड़यंत्र बताते हुए कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation of All India Traders- CAIT) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास को पत्र लिखकर इसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

Bengal news, Asansol news : आसनसोल (शिवशंकर ठाकुर) : अमेजॉन, फ्लिपकार्ट सहित अन्य ई-कॉमर्स पोर्टलों से सामान खरीदने पर बैंकों द्वारा दिये जाने वाले कैश बैक डिस्काउंट (Cash back discount) को देश के व्यापारियों को बर्बाद करने की दिशा में सबसे बड़ा षड़यंत्र बताते हुए कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation of All India Traders- CAIT) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास को पत्र लिखकर इसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

कैट के पश्चिम बंगाल चैप्टर के चेयरपर्सन सुभाष अग्रवाला ने बताया कि अमेजॉन, फ्लिपकार्ट व अन्य ई-कॉमर्स पोर्टलों पर किसी उत्पाद की खरीदारी क्रेडिट या डेबिट कार्ड से करने पर विभिन्न बैंकों द्वारा 10 प्रतिशत तक छूट या कैश बैक का ऑफर दिया जाता है. यही समान यदि उपभोक्ता किसी दुकान से क्रेडिट या डेबिट कार्ड के माध्यम से खरीदता है, तो उसे यह छूट नहीं मिलती है. ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ मिलकर विभिन्न बैंक व्यापारी और उपभोक्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं. जिससे देशभर के व्यवसायियों को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है. व्यवसायियों के हित को लेकर इस मुद्दे पर कैट ने समानता के अधिकार का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए आरबीआई के गवर्नर को पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है.

श्री अग्रवाला ने कहा कि देश के विभिन्न बैंक ई-कॉमर्स कंपनियों से सांठगांठ कर कार्य करने से देशभर के व्यापारियों के व्यापार को बहुत बड़ा नुक्सान हो रहा है. यह व्यापारियों और उपभोक्ताओं के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के साथ भारत के संविधान की प्रस्तावना और सरकार की एफडीआई नीति (FDI policy) का भी खुला उल्लंघन है. इस तरह की सांठगांठ भारत में छोटे व्यवसायों के लिए मौत की घंटी साबित हो रही है.

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उन्होंने बताया कि विभिन्न बैंक ई-कॉमर्स पोर्टलों पर क्रेडिट या डेबिट कार्ड से खरीदारी करने पर 10 प्रतिशत की छूट या कैश डिस्काउंट का ऑफर देते हैं. अगर वही सामान किसी दुकान से खरीदा जाता है और इन्ही बैंकों के कार्ड से पेमेंट की जाती है तब भी यह छूट ग्राहकों को किसी भी बैंक द्वारा प्रदान नहीं की जाती है. बैंकों का यह कृत्य व्यापारियों एवं खरीददारों के बीच स्पष्ट रूप से भेदभाव करता है, जो कि भारत के संविधान की प्रस्तावना का उल्लंघन है. यह भेदभाव उपभोक्ताओं को ऑनलाइन पोर्टल से सामान खरीदने के लिए प्रेरित करता है जो संविधान के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 301 का उल्लंघन है. यह दोनों अनुच्छेद भारत में व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता के गारंटी देता है.

ई- कॉमर्स पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन खरीदारी पर कैश बैंक प्रदान करना बैंकों का इन कंपनियों के साथ एक कार्टेल है जो ई- कॉमर्स कंपनियों को लागत से भी कम मूल्य पर सामान बेचना, बैंकों के साथ एक्सक्लूसिव एग्रीमेंट आदि के द्वारा कंपनियों को सहायता प्रदान करता है. इससे बाजार में असमान स्तर की प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिल रहा है. यह विशेष रूप से सरकार की एफडीआई नीति के प्रेस नोट नंबर 2 के तहत प्रतिबंधित है.

श्री अग्रवाला ने कहा कि प्रतियोगिता अधिनियम की धारा 3 (3) के साथ पढ़ी गयी धारा 3 (1) के तहत यह निषिद्ध है. प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 2 उन समझौतों पर रोक लगाती है जो भारत में प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव का कारण बनते हैं या कारण होने की संभावना है.

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कैट ने आरबीआई के गवर्नर से अपील किया गया है कि मामले को तत्काल संज्ञान में लें और बैंकों को तत्काल प्रभाव से कैश बैक ऑफर बंद करने का आदेश दें. बैंकिंग मानदंडों और बैंकों की संदिग्ध भूमिका के लिए बैंकों के खिलाफ कानून के तहत निर्धारित कार्यवाही शुरू करने की भी अपील की गयी है.

Posted By : Samir Ranjan.

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