बर्दवान/पानागढ़, मुकेश तिवारी : पश्चिम बंगाल में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. आगामी आठ जुलाई को मतदान है. लेकिन इसे लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों द्वारा चुनावी प्रचार जारी है. इस बीच पूर्व बर्दवान जिले के कटवा एक प्रखंड के आलमपुर ग्राम पंचायत की कुल 16 सीटें है. तथा तीन पंचायत समिति सीट है. इस बार गुसुंबा ग्राम में पंचायत चुनाव में इस बार यहां एक ही परिवार की दो बहुओं और एक चचिया सास यानी एक ही परिवार की तीन महिलाएं तीन राजनीतिक पार्टियों के टिकट पर चुनावी मैदान में है .
घर में जितना ही एक दूसरे के साथ घुलमिल कर रहती है, लेकिन चुनावी मैदान में तीनों ही अपने अपने दल की ओर से चुनावी प्रचार और एक दूसरे दल को लेकर आवाज उठा रही है. परिवार की तीनों गृहणियां पंचायत चुनाव में जमकर प्रचार कर रही है. इसके कारण कटवा के गुसुंबा गांव के दास परिवार में राजनीतिक गरमाहट पैदा हो गई है. एक ही ग्राम पंचायत सीट के लिए एक तृणमूल से और दूसरा सीपीएम से उम्मीदवार रहे हैं. और चचिया सास पंचायत समिति से बीजेपी प्रत्याशी हैं. दास परिवार की तीन दुल्हनों की चुनावी जंग को लेकर स्थानीय लोग उत्साहित हैं. गृहिणी स्वप्ना दास गुसुंबा गांव नंबर 2 सीट से तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार हैं. इसी सीट पर रीना दास सीपीएम की उम्मीदवार हैं.कटवा एक पंचायत समिति की सीट संख्या 216 पर सास अर्चना दास बीजेपी से चुनाव लड़ रही हैं.
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, गुसुंबा गांव के दास परिवार मुख्य रूप से किसान हैं. भाजपा प्रत्याशी अर्चनादेवी के पति नित्यगोपाल दास पांच भाई हैं. इनमें अर्चनादेवी के चचेरे भाई मिथुन दास की पत्नी और तृणमूल उम्मीदवार स्वप्नादेवी भी शामिल हैं. सीपीएम उम्मीदवार रीना देवी अर्चनादेवी के दूसरे भतीजे के बेटे सुशांत दास की पत्नी हैं. पड़ोसियों का कहना है कि कभी पूरा परिवार सीपीएम समर्थक था. फिर मिथुन दास 2017 में तृणमूल में शामिल हो गये. मिथुन के चाचा नित्यगोपाल दास 2019 में बीजेपी में शामिल हो गए.हालाँकि, रीनादेवी अभी भी सीपीएम में बनी हुई हैं. वहीं इस बार के पंचायत चुनाव में ये तीनों परिवार आमने-सामने हैं.
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सीपीएम उम्मीदवार रीना दास ने कहा, ‘हम एक ही सीट पर दो पार्टियों के उम्मीदवार बन गए हैं. पंचायत समिति में काकी मां भाजपा के लिए खड़ी हैं.हम सभी अपनी पार्टी के निर्देशानुसार प्रचार कर रहे हैं. लेकिन हमारे परिवार में सभी के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं.तृणमूल उम्मीदवार स्वप्ना दास ने कहा, हमारे पास परिवार के लोगों के लिए पर्याप्त प्यार है. लेकिन वोट की लड़ाई में हम एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं. मैं लोगों के सामने ममता बनर्जी के विकास का प्रचार कर रही हूं. लोग निर्णय करेंगे कि कौन जीतता है.वहीं बीजेपी उम्मीदवार अर्चना दास के शब्दों में, मेरे पति मोदी जी के विकास से प्रेरित होकर बीजेपी में आए. फिर पार्टी ने मुझे उम्मीदवार बनाया. अगर मैं जीतती हूं तो क्षेत्र के विकास के लिए काम करना चाहती हूं.’ लेकिन वोटों की इस लड़ाई का हमारे पारिवारिक रिश्ते पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बहुओं में आपसी तालमेल और शिष्टाचार अच्छी है.गौरतलब है कि गुसुंबा गांव का दास परिवार कभी वामपंथ का वोट बैंक था. और इस गांव में इस परिवार का काफी दबदबा था. उस परिवार का ‘वोट बैंक’ अब तीन हिस्सों में बंटने जा रहा है. अब आगे यह देखना है की जनता जनार्दन किसे अपना वोट देकर की जिताती है.
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