24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

अजीत रानाडे

Browse Articles By the Author

अर्थव्यवस्था सकारात्मक दिशा में

आर्थिक संभावनाओं का सकारात्मक पहलू है संरचनात्मक कारकों का मजबूत होना. इसमें युवा आबादी और बढ़ता श्रम बल, तेज शहरीकरण, हरित अर्थव्यवस्था पर बढ़ता खर्च और बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर आकांक्षा शामिल हैं. साथ ही, सॉफ्टवेयर सेवाओं के निर्यात में लगातार तेजी बनी हुई है.

बढ़ते कर्ज भार पर ध्यान देने की जरूरत

भारत के पक्ष में दो बिंदु हैं. पहला-कर्ज का बड़ा हिस्सा घरेलू मुद्रा में है, इसलिए सरकार पर डॉलर दायित्व नहीं है. दूसरा-भारत का कार्यबल युवा है व निर्भरता अनुपात अगले कम से कम सकारात्मक रहेगा. एक सेवानिवृत व्यक्ति पर हमारे देश में 5 से अधिक कामकाजी लोग हैं. लेकिन कामगारों की प्रति व्यक्ति आय कम है.

उपभोक्ता व्यय में निरंतर वृद्धि आवश्यक

अगर मध्यम अवधि में वास्तविक जीडीपी को सात प्रतिशत की दर से बढ़ाते रहना है, तो उपभोक्ता व्यय में छह से सात प्रतिशत बढ़ोतरी करनी होगी. उपभोक्ता व्यय में निरंतर बढ़ोतरी के लिए रोजगार, पारिश्रमिक और खुदरा कर्ज में लगातार वृद्धि आवश्यक है.

अभी गोल्ड बॉन्ड से आस न छोड़ें

जब पहले चरण के निवेशक अपने बॉन्ड को भुनायेंगे, तो उन्हें आठ साल में प्रति वर्ष 12 फीसदी से अधिक की दर से लाभ होगा. इसकी वजह यह है कि इस अवधि में सोने का भाव दुगुने से भी अधिक हो गया है. नवंबर 2015 में एक ग्राम सोने का भाव 2,684 रुपये था, जो अब लगभग छह हजार रुपये हो चुका है.

खाद्य सुरक्षा प्रणाली में बदलाव की जरूरत

खाद्य सुरक्षा कानून पूरे देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से लागू किया जाता है. पहले संस्करण में इसे केवल 100 सबसे पिछड़े जिलों में लागू किया जाना था. इसे पूरे देश में बढ़ा दिया गया था. साठ के दशक से चल रही मूल पीडीएस की जगह नब्बे के दशक के मध्य में लक्षित पीडीएस की मांग की गयी थी.

भारत में बेरोजगारी की धुंधली तस्वीर

बहुत सारे लोग जो खुद को काम करनेवाला बताते हैं, वे हो सकता है कि कई पार्ट टाइम काम करते हों. फुल टाइम नौकरी नहीं होने को बेरोजगारी समझा जा सकता है, लेकिन वह भ्रामक होगा. ऐसे देश में जहां 90 फीसदी श्रमबल के पास कोई निश्चित नौकरी नहीं हैं.

नोबेल की रोशनी में महिला श्रम शक्ति

हाइ स्कूल और मिडिल स्कूल तक पढ़ी महिलाओं के लिए पर्याप्त और अनुकूल नौकरियां हैं ही नहीं. ऐसे में उनके पास काम नहीं करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता. ऐसी टिप्पणियां अक्सर हमारे कानों आती हैं कि ‘मेरी बेटी टेंपररी काम कर रही है, लेकिन शादी होते ही छोड़ देगी’.

आर्थिक वृद्धि के लिए बचत भी जरूरी

बैंकिंग व्यवस्था का पैसा बाजारों में असल पूंजी बनकर जाता है, जिससे नये कारखाने और परियोजनाएं बढ़ती हैं. वित्तीय बचत जब कम होती है तो कर्ज देने लायक पैसा भी कम रहता है जिससे ब्याज दर बढ़ जाती है.

मुद्रास्फीति कम करने की चुनौती

यदि खाने के सामान महंगे होंगे, तो कुल महंगाई भी ज्यादा होगी. सब्जियों, तिलहन, दालों, दूध और खाद्यान्नों की ऊंची कीमतों की वजह से खाने के सामानों की मुद्रास्फीति 10 प्रतिशत पर पहुंच गयी है
ऐप पर पढें