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अजीत रानाडे

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मुद्रास्फीति कम करने की चुनौती

यदि खाने के सामान महंगे होंगे, तो कुल महंगाई भी ज्यादा होगी. सब्जियों, तिलहन, दालों, दूध और खाद्यान्नों की ऊंची कीमतों की वजह से खाने के सामानों की मुद्रास्फीति 10 प्रतिशत पर पहुंच गयी है

किसानों के हित पर ज्यादा ध्यान जरूरी

कृषि का पेशा मूल्य नियंत्रण, स्टॉक की सीमा, आयात-निर्यात पर रोक, और बार-बार नीतिगत बदलावों की जंजीर में जकड़ा रहता है. तकनीकी तौर पर यह भले राज्य का विषय हो, मगर राज्यों के साथ-साथ केंद्र भी इसमें हस्तक्षेप करता रहता है.

लैपटॉप आयात की नयी नीति पर हो पुनर्विचार

अच्छे कंप्यूटरों से दूरी बनाने से अपना ही नुकसान होगा, जो बाहर से ही मिल सकते हैं. याद रखें, भारत की सॉफ्टवेयर और आउटसोर्सिंग क्षेत्र में कामयाबी इसलिए संभव हो पायी क्योंकि कंप्यूटरों के आयात के मामले में 1991 से बहुत पहले ही उदारीकरण लागू हो चुका था.

अदालतों में मुकदमों का बढ़ता बोझ

उच्च न्यायालयों में 60 लाख, 60 हजार मुकदमे और जिला व तालुका न्यायालयों में चार करोड़, 43 लाख मुकदमे लंबित हैं. तीन साल पहले, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि देश में तीन करोड़, 24 लाख, 50 हजार मुकदमे लंबित हैं. इसका मतलब यह हुआ कि इनकी संख्या हर साल लगभग 18 फीसदी की दर से बढ़ रही है.

आर्थिक तरक्की के गुमनाम नायक

अर्थव्यवस्था में छोटे व्यवसायों के योगदान की पहचान और सम्मान दोनों जरूरी है. साथ ही, बढ़ती असमानता को भी पहचाना जाना चाहिए. बड़ी कंपनियों का मुनाफा बढ़ना, और एमएसएमइ का मिटते जाना अर्थव्यवस्था और समग्र विकास के लक्ष्यों के लिए नुकसानदेह है.

कर्नाटक नतीजे और कुछ चिंताएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून, 2014 में राज्यसभा में अपने पहले भाषण में कहा था कि आपराधिक तत्वों से राजनीति को मुक्त करना उनकी मुख्य प्राथमिकता होगी. उन्होंने न्यायालयों से लंबित मामलों का जल्दी निपटारा करने का अनुरोध भी किया था.

छोटे उद्यमियों के ऋण की समस्या

सही उपाय यह होगा कि बड़े खरीदारों के जीएसटी भरने के ऑक्सीजन की आपूर्ति काट दी जाए. चूंकि हर खरीदारी का विवरण जीएसटी नेटवर्क में दर्ज होता है, और छोटे या मझोले उद्यम की पहचान उद्यम पंजीकरण संख्या से होती है

लापरवाही से अमेरिकी बैंक संकटग्रस्त

अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित सिलिकन वैली बैंक की तबाही यह इंगित करती है कि 2008 के बाद उठाये गये वैधानिक कदम नाकाफी साबित हुए हैं.

विकसित राष्ट्र होने के मायने

भारत में प्रति व्यक्ति आय लगभग 22 सौ डॉलर है, जबकि वैश्विक औसत 12 हजार डॉलर से ऊपर है. पंद्रह सबसे धनी और विकसित देशों का औसत 42,500 डॉलर है. यूरो क्षेत्र में भी लगभग यही औसत है. उत्तरी अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय 68 हजार डॉलर है. दक्षिण एशिया का औसत भारत के बराबर ही है.
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