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अनिल प्रकाश
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Opinion
हिमाचल की त्रासदी से सीखने की जरूरत
वह हिमालय जो आसमान को छूता था, आज टूट-टूटकर मैदानों में बिखर रहा है. यह बड़ा प्रश्न है कि हम कैसे तय करें कि हमारा मॉडल क्या हो. एक मॉडल जो आर्थिकी के साथ पारिस्थितिकी और हिमालय को भी बचा पाये, वही यहां के लिए सटीक साबित होगा.
Opinion
डिजिटल दुनिया भी कर रही कार्बन उत्सर्जन
आप डिजिटल दुनिया में जाकर जो कुछ भी करें, किसी भी रूप में कनेक्ट हों, पर यह सत्य है कि हम लगातार प्रकृति से डिस्कनेक्ट होते जा रहे हैं.
Opinion
प्लास्टिक से बर्बाद होती दुनिया
प्लास्टिक पर तमाम तरह के अंकुश लगाये जा चुके हैं, पर प्लास्टिक में कमी नहीं आयी. इसके लिए सरकारें जितनी दोषी हैं, आम लोग उससे कम दोषी नहीं हैं.
Badi Khabar
विभिन्न त्रासदियों से जूझती पृथ्वी
हमें यह समझना चाहिए कि हम पृथ्वी की ऊपरी सतह को अब हम जितना कमजोर बना देंगे या उसके ऊपर होने वाले विकास को समुचित विज्ञानी समझ व साधनों के साथ खड़ा नहीं करेंगे, तो आपदाएं, जो आनी ही आनी हैं, उनके कहर से नहीं बच सकेंगे. कहने का मतलब है कि पृथ्वी के आवरण की ही बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है.
Opinion
जीवनशैली से ही संकट में जीवन
सभी लोग अगर प्रकृति के प्रति समान दृष्टि रखेंगे और उसको संजोने का काम करेंगे, तभी हम प्रकृति को बचा पायेंगे. उसमें भी सबसे महत्वपूर्ण पहलू होगा कि हम फिर सरल जीवनशैली का आह्वान करें.
Opinion
प्रकृति ही सबसे बड़ा धर्म
अपने देश में भी हिंदुओं पर हनुमान जी की कृपा नहीं बनी और इसी तरहइस्लाम में भी अल्लाह के बंदे को इसकी नेमत हासिल नहीं हुई.
Opinion
पर्यावरण का आकलन आवश्यक
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ-साथ सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) का भी विकास में समानांतर उल्लेख होना आवश्यक है.
Opinion
प्रकृति को लेकर चिंतन का समय
सच कहा जाए, तो अभी संभलने का समय है, साथ ही सामूहिकता का भी सवाल है. हम सरकार और समाज के साथ मिल कर यह चिंतन करें कि प्रकृति के प्रति हमारा व्यवहार किस तरह का होना चाहिए.
Opinion
वनाग्नि में झुलसता वनों का भविष्य
भारत में 35.47 प्रतिशत वन ऐसे हैं, जिन्हें आग की दृष्टि से ज्यादा संवेदनशील माना गया है. तीन लाख से ज्यादा वनाग्नि की घटनाएं पिछले साल हुईं और नवंबर से अब तक आठ हजार से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं.