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डॉ अनिल प्रकाश जोशी
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Opinion
गंगा को तारने के लिए आगे आने की जरूरत
Save Ganga : जब गंगा, यमुना से संबंधित कोई भी बात उठे, तो उसे मात्र किसी सरकारी योजना के दायित्व के नजरिये से नहीं देखना चाहिए. अब इस सवाल के लिए कोई ज्यादा जगह नहीं है कि फिर किसे इसका जिम्मेदार माना जाए.
Opinion
वायु प्रदूषण का बढ़ता जानलेवा खतरा
Air Pollution : हमें नहीं भूलना चाहिए कि वायु प्रदूषण बहुत खतरनाक है, क्योंकि हम हर क्षण इसे अपने अंदर ले रहे हैं. प्रदूषित हवा हमारे रक्त संचार का हिस्सा बन जाती है और हमारे महत्वपूर्ण अंगों तक पहुंच उन पर विपरीत प्रभाव डालती है.
Opinion
पर्यावरण की बेहतरी के प्रयास की समीक्षा जरूरी
पारिस्थितिकी से जुड़े कार्यों का सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की तरह कोई एक आकलन या सूचक नहीं है. यह स्थिति केवल भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में है. पारिस्थितिकी विकास कार्यों का व्यवस्थित विवरण आना चाहिए. एक सकल पर्यावरणीय उत्पादन सूचक जैसा कुछ बनाया जाए, जिससे पता चले कि प्रकृति और पर्यावरण की बेहतरी के लिए क्या क्या प्रयत्न हो रहे हैं और उनके परिणाम क्या हैं.
Opinion
बढ़ते तापमान से मुश्किल में जीवन
हमने अपनी जीवनशैली को कुछ इस तरह बना दिया है कि अब हम उन आवश्यकताओं से बहुत ऊपर उठ गये हैं जो जीवन का आधार मात्र थीं.
Opinion
चुनाव में प्रकृति पर भी रहे ध्यान
हमने कभी इस तरह से मुद्दे खड़े ही करने की कोशिश नहीं की, इसलिए राजनीतिक दलों के ऊपर सारा दोष नहीं मढ़ा जा सकता है. इसके लिए हम ही दोषी हैं, यह स्वीकार किया जाना चाहिए.
Opinion
चिपको आंदोलन : पर्यावरण को बचाने की आवाज
पर्यावरण के बिगड़ते जाने की बात को दृष्टि में रखते हुए, यह स्वीकार किया गया कि इस क्षेत्र में वनों की कमी और उसके कारण हो रहे विनाश के पीछे वनों की व्यावसायिक बिक्री है, जो विनाशकारी साबित हो रही है.
Opinion
जल संकट पर नये सिरे से चर्चा हो
पानी आवश्यकता ही नहीं, हमारे प्राणों से जुड़ा है. इसके लिए हम सबकी पहल जरूरी है, अन्यथा आने वाले समय में क्या देश और क्या दुनिया सभी को प्यासा ही गुजर करना होगा.
Opinion
विलासितापूर्ण जीवन पर नियंत्रण जरूरी
सुंदर दुनिया को तभी भोग सकते हैं, जब जीवन बिना लड़खड़ाये टिकने योग्य हो. मात्र एक बात कि हम किस तरह अपनी आवश्यकताओं तक सीमित रहें. अपने आराम और विलासिता वाले जीवन पर कुछ अंकुश लगायें.
Badi Khabar
हमारे त्योहारों में प्रकृति से जुड़ने के संदेश
निश्चित रूप से पश्चिमी देशों की पहल विकास को लेकर रही है, लेकिन अगर प्रकृति के संरक्षण से जुड़े सवालों के उत्तर इसी देश में हैं, जहां हम विभिन्न तरह के पूजा-पर्वों में प्रकृति को जोड़ लेते हैं. ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम अपने पर्वों, खास तौर से बसंत पंचमी, में प्रकृति को प्रणाम भी करें.