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अनुज कुमार

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Happy Birthday Guruji: शराबबंदी और आत्मनिर्भर आदिवासियत के प्रबल पक्षधर हैं दिशोम गुरु शिबू...

jharkhand news: 11 जनवरी झारखंड के जननेता शिबू सोरेन का जन्मदिन है. गुरुजी को देश झारखंड के बड़े आंदोलनकारी और आदिवासी जननेता के तौर पर जानता है. शराबबंदी और शिक्षा पर विशेष जोर दिया, वहीं आदिवासियों को एकजुट और आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभायी.

लीडर तैयार करना और जिम्मेवारी सौंपना है एमएस धोनी की पहचान

धौनी के क्रिकेट जीवन का एक और बड़ा फैसला. चेन्नई सुपर किंग की कप्तानी अचानक छाेड़ दी. यह जिम्मेवारी साैंप दी अपने प्रिय शिष्य-साथी जडेजा काे. धौनी चाहते, ताे इस आइपीएल में भी कप्तानी कर सकते थे, लेकिन बड़ा खिलाड़ी-बड़ा कप्तान वह हाेता है, जाे नया खिलाड़ी पैदा करता है, नया कप्तान तैयार करता है.

टुंडी में गुरुजी को आत्मसमर्पण कराने में बर्नाड की थी भूमिका

बर्नाड किचिंगिया नहीं रहे. अधिकांश लाेग नहीं जानते हाेंगे कि बर्नाड की झारखंड आंदाेलन में या शिबू साेरेन (गुरुजी) का जीवन बदलने में क्या भूमिका थी? लाेग उन्हें एक पुलिस अधिकारी के ताैर पर ही मानते थे.

बांझी गोलीकांड: हक की लड़ाई लड़ते मारे गये थे फादर एंथोनी समेत 15 संताल

19 अप्रैल, 1985 को पुलिस की क्रूरता से लाल हुई थी धरती, जिसमें फादर एंथोनी मुर्मू और 14 अन्य आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इस मामले में विधानसभा से लेकर संसद तक हंगामा हुआ था. फादर एंथोनी आदिवासियों को उनका हक दिलाने के लिए उनकी लड़ाई का नेतृत्व कर रहे थे

World Environment day 2022: जानिए सारंडा के बाघमारी ‘भीमा’ की कहानी

सरकारी दस्तावेज बताते हैं पुराने रांची जिला में 1911 से 1913 तक हर वर्ष औसतन 1121 मवेशियाें काे बाघ मार कर खा जाते थे. इसी अवधि में रांची में 177 लाेगाें काे बाघ ने मारा था.

Special Story: गृहमंत्री ने डॉ रामदयाल मुंडा से ही मंगवायी थी झारखंड पर रिपोर्ट

Prabhat Khabar special: डॉ रामदयाल मुंडा. शिक्षाविद, समीक्षक, आलोचक, लेखक, कुशल प्रशासक, भाषाविद, संस्कृति प्रेमी, गीतकार, बांसुरी वादक और एक महान दूरद्रष्टा. मां-माटी से गहरा जुड़ाव. बौद्धिक और सांस्कृतिक आंदोलन के प्रणेता. आज इसी महान शख्सियत की 83वीं जयंती है.

गुवा गोलीकांड के असली नायक बहादुर उरांव और भुवनेश्वर महतो

गुवा गाेलीकांड झारखंड आंदाेलन की वह घटना है, जिससे पूरे काेल्हान काे उद्वेलित कर दिया था. इस गाेलीकांड के बाद काेल्हान में झारखंड आंदाेलन में तेजी आयी थी. राष्ट्रीय स्तर पर झारखंड आंदाेलन चर्चित हाे गया था

धनंजय महतो और अजीत महतो की शहादत का गवाह है तिरुलडीह कांड

चांडिल कॉलेज के दाे छात्र धनंजय महताे और अजीत महताे की शहादत ने पूरे झारखंड क्षेत्र काे उद्वेलित कर दिया था. पुलिस ने तत्कालीन सिंहभूम जिले के तिरुलडीह में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे छात्राें पर फायरिंग कर दी थी. जिसमें ये दाेनाें छात्र मारे गये थे.

Jharkhand Foundation Day: बिरसा मुंडा के साथी नायक आज भी हैं गुमनाम, सईल रकब...

बिरसा मुंडा के उलगुलान और उस आंदोलन के गुमनाम नायकों की चर्चा करें, तो बिरसा मुंडा और उनके समर्थकों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे. सईल रकब की अंतिम लड़ाई इसका उदाहरण है. इसमें कितने लोग मारे गये थे, इसका कोई हिसाब नहीं है.
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