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डॉ अश्विनी

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क्रेडिट एजेंसियों की प्रासंगिकता पर सवाल

रेटिंग एजेंसियों का पूरी दुनिया में एकाधिकार है और वे ज्यादातर अमेरिका आधारित हैं. इस वजह से यह भी देखा गया है कि अमेरिका और उसकी कंपनियों को बेहतर रेटिंग मिलती है.

बेमानी होतीं वैश्विक संस्थाएं

आज जब भारत जी-20 देशों की अध्यक्षता का निर्वहन कर रहा है, विश्व के समक्ष चुनौतियों के समाधान के लिए नयी सोच और नयी व्यवस्था की जरूरत को वैश्विक मंचों पर रेखांकित करना समय की जरूरत है.

पाकिस्तान के आर्थिक संकट के सबक

आज पाकिस्तान की विनिमय दर लगभग 280.67 पाकिस्तानी रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर है. पाकिस्तान चीन का इतना ऋणी है कि 27 बिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय ऋण में से लगभग 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर चीन का ही ऋण है

घटती जनसंख्या और चीन की मुश्किलें

आज चीन में खाद्य पदार्थों और अन्य विनिर्मित उत्पादों और साजो-सामान का उत्पादन बहुत अधिक मात्रा में होता है. घटती जनसंख्या से घरेलू मांग प्रभावित हो सकती है. भारत और अन्य मुल्कों में आत्मनिर्भरता के प्रयास उसके सामान की मांग कम कर सकते हैं. यह स्थिति चीन की अर्थव्यवस्था में ठहराव का कारण बन सकती है.

कर्ज की राजनीति व अर्थशास्त्र

सरकारों की समाज के प्रति जिम्मेदारी के निर्वहन में जब कराधान आदि से काम नहीं चल पाता है, तो उन्हें कर्ज लेना ही पड़ता है. लेकिन सरकारी कर्ज और जीडीपी के अनुपात को देखें, तो भारत सरकार का कुल कर्ज एवं देनदारियां अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में खासी कम हैं.

लाभदायक है स्वतंत्र विदेश नीति

आज जब बड़े विकसित देश अपनी सामरिक और आर्थिक शक्ति के बलबूते दूसरे मुल्कों पर शर्तें और पाबंदी लगाने की कोशिश में हैं, भारत अपनी स्वतंत्र आर्थिक, सामरिक और विदेश नीति के आधार पर अपने हितों की रक्षा करने की इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ रहा है.

कृषि एवं हरित विकास पर ज्यादा जोर

संगठित क्षेत्र के लिए तो इस बजट में बहुत कुछ है, लेकिन असंगठित की अनदेखी की गयी है. धनराशि के आवंटन को देखें, तो बहुत सारी चीजें, जो गरीबों और किसानों के हक की थीं, उनमें कटौती की गयी है.

सवाल सिर्फ जोशीमठ का नहीं है

हिमालयी क्षेत्र में इस तरह की आपदाओं में हाल के वर्षों में भारी वृद्धि हुई है. इन प्राकृतिक आपदाओं को हल्के में नहीं लिया जा सकता. माना जा रहा है कि बढ़ती आपदाओं के पीछे अंधाधुंध निर्माण कार्य जिम्मेदार है.

जी-20 सार्वभौमिक एकात्मकता का अवसर

भारत की परंपरागत सोच यह रही है कि सभी जीव पांच तत्वों- भूमि, जल, अग्नि, वायु व आकाश- से मिलकर बने हैं और सभी जीवों में समन्वय और समरसता हमारे भौतिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय कुशल क्षेम के लिए जरूरी है.
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