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डॉ. जयंतीलाल

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वैश्विक अर्थव्यवस्था में मजबूत होता भारत

भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है और देश में 100 से अधिक यूनिकार्न हैं. साथ ही जल्द ही भारत पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के रूप में उभरकर दुनिया के लिए विकास का इंजन बन जाएगा.

मजबूत डिजिटल ढांचे की अहमियत

डिजिटल इकोनॉमी के तहत कॉमर्स, बैंकिंग, मार्केटिंग, ट्रांजेक्शन, डेटा एनालिसिस, साइबर सिक्योरिटी, आइटी, टूरिज्म, रिटेल ट्रेड, हॉस्पिटेलिटी आदि क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार के चमकीले मौके बढ़ते जा रहे हैं.

कम हो चीन से व्यापार असंतुलन

उम्मीद है कि जिस तरह भारतीय खिलौना उद्योग ने चीन से आयात में भारी कमी कर देश और दुनिया को अचंभित किया है, उसी तरह उद्योग-कारोबार के अन्य क्षेत्रों में भी चीन से आयात घटाने और चीन को निर्यात बढ़ाने के नये अध्याय लिखे जायेंगे.

बजट से मध्यम वर्ग को उम्मीदें

आगामी बजट में वित्त मंत्री नये टैक्स स्लैब के प्रारूप में बदलाव कर छोटे करदाताओं को नयी राहत दे सकती हैं. इससे नये टैक्स प्रारूप के प्रति करदाताओं का आकर्षण बढ़ेगा. नये कर प्रारूप की घोषणा वर्ष 2020-21 के बजट में की गयी थी, लेकिन अब तक इसके तहत लाभ लेने के लिए आयकरदाताओं का विशेष रुझान नहीं बढ़ा है.

आर्थिक राहत देने की कोशिश

सभी लोगों को आर्थिक संकट के बीच स्वयं सावधानी रखनी होगी, वहीं सरकार और रिजर्व बैंक को भी विशेष भूमिका का निर्वहन करना होगा.

आत्मनिर्भरता की बुनियाद

प्रधानमंत्री मोदी ने 12 मई को कोविड-19 के संकट से चरमराती अर्थव्यवस्था के लिए बड़े आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है. कहा गया कि वित्त मंत्रालय के पिछले पैकेज और भारतीय रिजर्व बैंक की घोषणाओं को जोड़ दें, तो कुल पैकेज 20 लाख करोड़ रुपये का होगा, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 10 फीसदी के बराबर होगा.

चीन पर आर्थिक दबाव जरूरी

अक्टूबर, 2016 में पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद चीन द्वारा पाकिस्तान का साथ देने के कारण भारतीय उपभोक्ताओं ने चीनी माल का बहिष्कार किया था. इसी तरह जुलाई, 2017 में सिक्किम के डोकलाम में चीनी सेना के सामने भारतीय सेना को खड़े करने पर जब चीन ने युद्ध की धमकी दी थी, तो भारत में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का जोरदार परिदृश्य बना था.

चीन को मजबूत आर्थिक जवाब

उम्मीद है कि सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित बुनियादी ढांचे के विकास, तकनीकी विकास और आर्थिक सुधारों के ठोस क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी.

विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के मायने

विदेशी मुद्रा भंडार के ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचने से भारत को कई लाभ होंगे. इसके वर्तमान स्तर से एक वर्ष से भी अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है.
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