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डॉ राजन

एसोसिएट प्रोफेसर, रुसी एवं मध्य एशियाई अध्ययन केंद्र

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क्षेत्रीय युद्ध के मुहाने पर पश्चिम एशिया

भारत और ब्रिक्स के अन्य सदस्य देशों ने सभी पक्षों को संयम से काम लेने का अनुरोध किया है. ईरान भी ब्रिक्स समूह का सदस्य है. हालांकि भारत के संबंध ईरान और इस्राइल दोनों से अच्छे हैं.

मोदी की यात्रा और भारत-भूटान संबंध

लोकसभा चुनाव के समय में प्रधानमंत्री मोदी का भूटान दौरा यह दर्शाता है कि भारत भूटान को कितना महत्व देता है. प्रधानमंत्री मोदी को भूटान ने 'ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो' पुरस्कार से सम्मानित किया है.

क्षेत्रीय संघर्ष भड़कने की आशंका

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर 14 और 15 जनवरी को ईरान के दौरे पर हैं. गाजा संकट की शुरुआत के बाद से यह ईरान की पहली मंत्री-स्तरीय यात्रा है. निश्चित रूप से इस दौरे में पश्चिम एशिया में संघर्ष का बढ़ना चर्चा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा.

लाल सागर का संकट और भारत पर प्रभाव

लाल सागर संकट से व्यापार पूरी तरह नहीं रुकेगा, लेकिन व्यापार की लागत बढ़ जायेगी और हमारे उत्पाद कम प्रतिस्पर्धी रह जायेंगे. इसका असर मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र पर पड़ेगा. ईंधन के दाम तो बढ़े ही हैं, अनाज के दाम भी जल्द बढ़ सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र में हो बहुपक्षीय सुधार

फ्रांस और ब्रिटेन सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं, जबकि भारत, ब्राजील, जापान, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया अभी भी आकांक्षी देश हैं. वैश्विक आबादी के 12 प्रतिशत आबादी वाले पश्चिमी देशों के तीन सदस्य हैं, जबकि एशिया से एकमात्र सदस्य चीन है.

लाभप्रद होगा भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर

भारत के मध्य पूर्व और यूरोप के देशों के साथ उत्कृष्ट व्यापारिक संबंध हैं. यह तीनों क्षेत्रों के लिए लाभप्रद स्थिति हो सकती है. यह व्यापार को बढ़ायेगा और रोजगार के अवसर प्रदान करेगा.

ब्रिक्स में भारत की बढ़ती रणनीतिक भूमिका

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में विभिन्न देश अपना रुतबा बढ़ाने और संतुलन का प्रयास करते रहते हैं. ब्रिक्स भारत के लिए यही काम करता है. वह उसे चीन और रूस जैसे शक्तिशाली देशों के समकक्ष खड़ा करता है.

रूस में पुतिन की कमजोर होती पकड़

रूसी कुलीन वर्ग और मध्यम वर्ग चिंतित है, कि पश्चिम से आर्थिक अलगाव से उनकी आय, रोजगार, शिक्षा और जीवनशैली प्रभावित होगी. उन्हें इस बात की भी चिंता है कि अलगाव के कारण रूस को चीन और भारत जैसे देशों के साथ समझौता करना होगा और रियायतें देनी होंगी.

मिखाइल गोर्बाचेव: इतिहास बदलने वाले राजनेता

बीती सदी के अंतिम दशकों में उनके योगदानों के आधार पर सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव का आकलन किया जाना चाहिए. सोवियत संघ के शांतिपूर्ण विघटन से पहले की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं को देखें.
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