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कृष्ण प्रताप सिंह

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विश्वकर्मा की परंपरा के अनूठे वाहक विश्वेश्वरैया

Vishwakarma Puja: सीमेंट की कमी पूरी करने के लिए उन्होंने ‘मोर्टार’ तैयार किया, जो सीमेंट से भी ज्यादा मजबूत था. लेकिन मोर्टार से भी कहीं ज्यादा मजबूत थी उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और कहते हैं कि इसका ही फल था कि उनके बनाये बांधों, जलाशयों, फैक्टरियों, विश्वविद्यालयों और बाढ़ व कटाव से सुरक्षा व सिंचाई की प्रणालियों वगैरह की तरह उन्हें भी लंबी उम्र मिली.

अपने गिरेबान में भी झांकने की जरूरत

Hindi Diwas 2024 : बेहतर हो कि हिंदी समाज यह समझे और इस स्थिति के कारण तलाशे कि क्यों उसकी हिंदी अभी भी महज विज्ञापन, बाजार व मनोरंजन आदि की ही भाषा बनी हुई है और बहुत आगे बढ़ती भी है, तो वोट मांगने की भाषा होकर रह जाती है, अकादमिक विचार-विमर्श व सत्ता-संचालन की भाषा नहीं बन पाती.

Birth Anniversary : आचार्य विनोबा भावे के जन्मदिन पर पढ़ें, कृष्ण प्रताप सिंह का...

Birth Anniversary : वर्ष 1895 में, 11 सितंबर को महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के गागोदा गांव के एक धर्मपरायण चितपावन ब्राह्मण परिवार में विनोबा भावे का जन्म हुआ.

डॉ राधाकृष्णन: सहजता में गुरुता, शिक्षक दिवस पर पढ़ें कृष्ण प्रताप सिंह का खास...

Dr Sarvepalli Radhakrishnan राधाकृष्णन ने उन्हें सम्राट अशोक की कहानी सुनायी. आशय यह था कि अपनी इस मान्यता के गुरूर में फूले-फूले मत फिरिये कि सत्ता बंदूक की नली से निकलती है. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने अपनी ‘स्मरणांजलि’ नामक कृति में इस प्रसंग का रोचक वर्णन किया है.

जयंती विशेष : जिंदगी के शायर थे फिराक गोरखपुरी

हिंदुस्तानियत के अलबेले पैरोकार और नाना परतों वाली निराली शख्सियत के स्वामी’- मीर और गालिब के बाद के उर्दू के सबसे बड़े शायर और आलोचक फिराक गोरखपुरी की बाबत एक वाक्य में कुछ इसी तरह बताया जा सकता है.

जयंती विशेष राधागोबिंद कर : दुर्गति से कैसे बचे विरासत?

Radha Gobind Kar : मेडिकल कॉलेज राधागोबिंद कर की देश को इकलौती देन नहीं है और उन्हें केवल इसी के लिए दूरदर्शी व परोपकारी नहीं माना जाता. जानकार बताते हैं कि उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में जब प्लेग की महामारी कोलकाता की सांसें रोकने पर उतर आयी, तो उन्होंने उसे काबू करने के प्रयत्नों में कुछ भी उठा नहीं रखा.

आचार्य द्विवेदी : गुरु-शिष्य परंपरा के अप्रतिम पुरस्कर्ता

आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी, जिन्होंने ‘व्योमकेश दरवेश’ नाम से आचार्य की जीवनी लिखी है, बताते हैं कि द्विवेदी जी ने अपने समूचे अध्यापन काल में गुरु-शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाया, क्योंकि उनका मानना था कि यह शिक्षा की सबसे आदर्श व्यवस्था है.

जयंती विशेष : अंतरिक्ष अनुसंधान के अग्रदूत विक्रम साराभाई

Vikram Sarabhai : वे जीवनभर प्रयासरत रहे कि विज्ञान के विभिन्न प्रयोग आम आदमी के काम आएं. उनका मानना था कि ऐसा नहीं हुआ, तो वैज्ञानिक प्रयोगों की कोई सार्थकता नहीं रहेगी. साल 1975 में भारत ने एक रूसी कॉस्मोड्रोम से ‘आर्यभट्ट’ उपग्रह को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दुनिया को चकित कर डाला. यह विक्रम की परियोजना की सफलता थी.

जयंती विशेष : हरित क्रांति के जनक थे एमएस स्वामीनाथन

तमिलनाडु स्थित कुंभकोणम में 1925 में आज ही के दिन जन्मे एमएस स्वामीनाथन का पूरा नाम मनकोंबु संबाशिवन स्वामीनाथन है. उनके पिता थे एमके संबाशिवन और माता थीं पार्वती थंगम्मल. पेशे से डॉक्टर रहे पिता के पुत्र स्वामीनाथन ने कुंभकोणम में शुरुआती शिक्षा के बाद तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज, कोयंबटूर के कृषि कॉलेज (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) और केरल विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की.
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