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कृष्ण प्रताप सिंह

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Birth Anniversary : चीन से शिकस्त ने नेहरू को तोड़ डाला था

Birth Anniversary : बीबीसी संवाददाता रेहान फजल ने दो साल पहले उनकी पुण्यतिथि पर प्रकाशित अपने एक लेख में लिखा था कि ‘1962 में चीन से हुई लड़ाई ने उनको तोड़कर रख दिया था और उसके सदमे से वे कभी उबर नहीं पाये.' परिणाम यह हुआ कि ‘उनकी पुरानी शारीरिक ताकत, बौद्धिक कौशल और नैतिक चमक बीते दिनों की बात हो गयी और वे निराश व थके हुए से दिखने लगे.

आखिरी दम तक वंचितों की आवाज बने रहे अदम गोंडवी

अदम के लिए अपनी शायरी में ईमानदार व जनोन्मुख होना ज्यादा अहम था. वे अपने शुरुआती दौर में ही सामंतों व सवर्णों को दलितों के कठिन जीवन का ताप महसूस कराने के उद्देश्य से ‘चमारों की गली’ शीर्षक मर्मभेदी रचना लिखकर अपने ‘बंधु-बांधवों’ को दुश्मन बना चुके थे.

तबला ही नहीं बांसुरी के भी जादूगर थे लच्छू महाराज

अपने प्रशिक्षण के दौरान ही (सात-आठ वर्ष की उम्र से ही) उन्होंने स्टेज पर प्रस्तुति देनी भी शुरू कर दी थी. बड़े होने पर उन्होंने पिता की इस विरासत को थाती की तरह संभाला

‘अंधेरी कोठरी’ का इकलौता रोशनदान थे जेपी

इस तरह देश लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने में सफल हुआ, तो जेपी उसकी शुचिता को लेकर बेहद गंभीर थे.

जब शास्त्री जी ने अयोध्या जेल को प्रतिरोध का केंद्र बनाया

शास्त्री जी की जयंती पर बता रहे हैं कृष्ण प्रताप सिंह
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