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कृष्ण प्रताप
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Opinion
आजाद और भगत सिंह के प्रिय थे भगवतीचरण वोहरा
भगवतीचरण वोहरा भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के ऐसे अप्रतिम नक्षत्र थे,जिनके गर्वीले आत्मत्याग की आभा में शहीद-ए-आजम भगत सिंह को भी अपना बलिदान तुच्छ नजर आता था. वोहरा का अनूठापन इस बात में भी है कि आंदोलन के लेखक, विचारक, संगठक, सिद्धांतकार व प्रचारक और काकोरी से लाहौर तक कई क्रांतिकारी कार्रवाइयों के अभियुक्त होने के बावजूद वे न कभी पुलिस द्वारा पकड़े जा सके और न ही किसी अदालत ने उन्हें कोई सजा सुनायी. वे इसआंदोलन की नींव की ऐसी ईंट थे, जिसने कभी भी शिखर पर दिखने का लोभ नहीं पाला. वे कहते भी थे कि इस आंदोलन के लिए ऐसे लोग चाहिए, जो आशा की अनुपस्थिति में भी भय व झिझक के बिना युद्ध जारी रख सकें, जो आदर-सम्मान की आशा रखे बिना मुत्यु के वरण को तैयार हों, जिसके लिए न कोई आंसू बहे और न कोई स्मारक बने.
Opinion
अपनी मिसाल आप ही थे लाल बहादुर शास्त्री
शास्त्री जी ने एक रेल दुर्घटना के बाद इस्तीफा देकर मंत्रियों द्वारा नैतिक जिम्मेदारी स्वीकारने की नयी मिसाल कायम की.
Opinion
लोकतंत्र के योद्धा कवि ‘धूमिल’
मुक्तिबोध और रघुवीर सहाय के बाद धूमिल हमारे जटिल समय के ताले खोलने वाली तीसरी बड़ी आवाज हैं. धूमिल को एक बार फिर नये सिरे से समझे जाने की जरूरत है.
Opinion
स्त्री आंदोलन और नीरा बेन देसाई
नीरा बेन का कहना था कि ज्ञान को स्त्री की संवेदना, प्रवृत्ति और दृष्टिकोण के अनुकूल बनाना हो तो शिक्षण, प्रशिक्षण, दस्तावेज लेखन, अनुसंधान व अभियान के हर मोर्चे पर सक्रियता के बिना काम नहीं चलने वाला.
Opinion
सुरक्षा मानकों पर ध्यान दें अस्पताल
सरकारों को इस सवाल के सामने क्यों नहीं खड़ा किया जाना चाहिए कि उनके अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा के मानकों को तवज्जो न देकर इतनी लापरवाही क्यों बरती जाती है?
Opinion
चुनाव नतीजों को यहां से देखें
दूसरा, राज्य सरकारों से असंतुष्ट मतदाता विश्वसनीय नये विकल्पों की अनुपस्थिति में उन पुराने विकल्पों से कैसा सलूक करते हैं, जिनको वे पहले खारिज कर चुके हैं और जिन्हें लेकर उनका मन अभी भी साफ नहीं है? उनकी कसौटी पर कोई दल खरा नहीं उतरता, तो क्या वे इस आधार पर फैसला करते हैं कि किसने उन्हें ज्यादा सताया है और किसने कम? तीसरा, लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अलग-अलग ढंग से प्रदर्शित होनेवाला उनका विवेक फिलहाल कितना परिपक्व हो चुका है?
Opinion
भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत
राजा राममोहन राय ने अपनी भाभी के सती होने का जो भयावह वाकया देखा, उससे विचलित होकर 1818 में इस क्रूर प्रथा के विरुद्ध उन्होंने जागरूकता और संघर्ष की मशाल जलायी.
Opinion
Hindi Diwas 2021: अस्मिता व संस्कृति से जोड़ने का जरिया है हिंदी
Hindi Diwas 2021: समय के अंधेरों से जूझने वालों को हिंदी से उजाले की ओर ले जाने वाली भूमिका की ही दरकार है, जो भविष्य की इबारतें पढ़ने में उनकी मदद करे और बुरे समय में भी सच्ची अस्मिता व संस्कृति से जोड़े रखे.