26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

कृष्ण प्रताप

Browse Articles By the Author

अनुकरणीय है शास्त्री जी की सादगी

आज बड़ी त्रासदी यह है कि राजनीति में गांधीवादी मूल्यों से समृद्ध नैतिकता, ईमानदारी और सादगी की वह परंपरा पूरी तरह तिरोहित हो गयी है, शास्त्री जी जिसके मूर्तिमंत प्रतीक थे.

भरोसेमंद नहीं ओपिनियन पोल

कंपनियों के उत्पादों के लिए सर्वेक्षण करने की अभ्यस्त एजेंसियों द्वारा आज चुनाव सर्वेक्षण भी कराया जाता है. आमतौर उन्हें चुनाव सर्वेक्षणों का कोई अनुभव नहीं होता.

नदियों को बचाना चुनावी मुद्दा क्यों नहीं

बढ़ते प्रदूषण के कारण अस्तित्व के खतरे को झेल रही नदियों और उससे मानव जीवन को पैदा हो रहे अंदेशों पर चर्चा होनी आवश्यक है.

यायावर और बहुभाषाविद राहुल

वे जब तक सक्रिय रह पाये, रूढ़ सामाजिक धारणाओं पर कुठाराघात करते तथा जीवन-सापेक्ष बन कर समाज की प्रगतिशील शक्तियों को संगठित कर संघर्ष एवं गतिशीलता की राह दिखाते रहे.

हत्याओं से पांच गुनी आत्महत्याएं

हमें यह समझना होगा कि आत्महत्या न कायरता होती है, न पलायन और न ही साहस. वह एक टूटे हुए व्यक्ति का फैसला होती है.

मजदूर आंदोलनों को आत्मावलोकन की जरूरत

अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर अपने देश के संदर्भ में बात करें, तो कम से कम दो प्रेरणास्पद बातें याद आती हैं. पहली, हमारा देश अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का संस्थापक सदस्य है. दूसरी, भूमंडलीकरण के भरपूर व्याप जाने के बावजूद दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस सरकारी छुट्टी का दिन बना हुआ है.

10 मई, 1857 की वह नयी सुबह

अपनी बहुचर्चित पुस्तक ‘द हिस्ट्री आफ इंडियन वार ऑफ इंडिपेंडेंस’ में सावरकर ने 1857 को ‘भारतीय स्वतंत्रता का पहला संग्राम’ बताया.

कुशल कूटनीतिज्ञ थे पंडित नेहरू

यह पंडित नेहरू की प्रगतिशील सोच और सरोकारों का ही फल था कि नव स्वतंत्र भारत पुनरुत्थान के चक्कर में न फंस कर सच्चे अर्थों में आधुनिक बनने की ओर बढ़ा.

अविचलित प्रतिरोध की वह परंपरा

साप्ताहिक ‘उदंत मार्तंड’ के प्रकाशन से हिंदी पत्रकारिता की जो परंपरा शुरू की गयी, वह अन्यायी सत्ताओं के प्रतिरोध की ही रही है.
ऐप पर पढें