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प्रो सुनील

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रोजगार सृजन के लिए नये उपाय हो

लाखों बेरोजगारों, खासकर ग्रामीण भारत में, को समुचित रोजगार मुहैया कराना देश के सामने मौजूद सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. यह भी साफ हो चुका है कि कॉरपोरेट पूंजी के बड़े निवेशों पर निर्भर ‘ट्रिकल डाउन’ अर्थशास्त्र में भरोसा रोजगार पैदा करने में विफल रहा है. मुख्य रूप से ऐसा इसलिए है कि कॉरपोरेट पूंजी धीमी गति से रोजगार पैदा कर रही है.

बिहार में रोजगार हो विमर्श का केंद्र

भले आज रोजगार का मुद्दा चर्चा के केंद्र में नहीं है, किंतु आगामी दिनों में इस मुद्दे पर बहुत चर्चा होगी और ऐसा अकेले बिहार में ही नहीं होगा, बल्कि पूरे देश में होगा.
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