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पुष्पेश पंत

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Prabhat Khabar Special: सावन के शाकाहारी खाने में स्वाद का इंतजाम

समुद्र से प्राप्त होने वाले नमक को निषिद्ध माना जाता है. पर, हिमालय की चट्टानों से मिलने वाले काले या गुलाबी नमक को इस्तेमाल किया जा सकता है. सेंधा नमक भी इसी कोटि में रखा जाता है.

खाने में भी होता है ‘घास’ का इस्तेमाल, जानिए इसका स्वाद और कितना है...

अगर अनाज की बात छोड़ भी दें तो बहुत सारी घास ऐसी हैं, जो हमारे खाने को सुवासित बनाती हैं और स्वादिष्ट भी. इनमें सबसे पहले याद आती है खस की जिसे अंग्रेजी में विटीवर कहते हैं. इसकी तासीर ठंडी होती है और गर्मियों में इसका शरबत हल्की कुदरती हरियाली के साथ तन-मन को शीतल कर देता है.

नारियल से निखरे स्वादिष्ट व्यंजन, विदेशों में भी नारियल के जायके है बेहद मशहूर

थाइलैंड की मशहूर लाल, पीली और हरी करी की बुनियाद भी नारियल के दूध में ही रखी जाती है. मलाया की पैनान करी, म्यांमार का कोसवे और इंडोनेशियाई तथा वियतनामी व्यंजनों में भी नारियल का प्रयोग होता है. नारियल से बनायी गयी जेली उन गिनी-चुनी मिठाइयों में है जिसे दक्षिण-पूर्व एशियाई अपना कह सकते हैं.

जायका : स्वाद की दुनिया के मिशलिन सितारे

देशी खाने का जायका भारत में रहने वाले एक अरब, चालीस करोड़ हिंदुस्तानी ही तय करेंगे. जिस तरह ढाबे के व्यंजन, चाट और दक्षिण भारतीय टिफिन आभिजात्य होटलों के मेनू पर छा चुके हैं, वैसा ही भविष्य में होता रहेगा.

जायका : प्याज के सदाबहार व्यंजन

तड़के या बघार में प्याज का इस्तेमाल बहुरूपिये की तरह होता है. भुने प्याज की तो दुनिया ही न्यारी है. बिरयानी हो या पुलाव इसके अभाव में उनकी कल्पना ही नहीं की जा सकती. गुजरे जमाने में बहुत सारे लोग प्याज को तामसिक समझ इससे परहेज करते थे, पर अब यह प्रतिबंध लगभग लुप्त हो चुका है.

पापड़ के चटपटे जायके, विदेशों में इस नाम से है मशहूर

मसालेदार पापड़ों में अमृतसरी पापड़ सबसे अधिक मशहूर हैं. पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कालजयी कहानी ‘उसने कहा था’ के नायक की मुलाकात अपनी होने वाली पत्नी से किशोरी रूप में एक पापड़ बेचने वाले की दुकान पर ही होती है.

जायका : रमजान में इफ्तार का दस्तरखान

विभिन्न सूबों में पारंपरिक खजूर, हलीम, सेवियों के साथ-साथ स्थानीय जायकों को भी अहमियत दी जाती है और शाकाहारी अल्पाहार की ही बहुतायत नजर आती है.

रंग-बिरंगी मिठास मिसरी की कैसे बदली ‘जिंदगी’, खाना के बाद सौंफ और मिसरी के...

कुछ दशक पहले तक उत्तराखंड के गांवों में मटमैली मिसरी की डली लोकप्रिय थी, जो खांड के गाढ़े घोल को सांचे में डाल बनायी जाती थी. यह बच्चों को मिठाई के रूप में मिलती थी और बड़े भी फीकी चाय के साथ इसकी कटक लगाते थे.

डबल रोटी की कई वैराइटी मार्केट में उपलब्ध, जानिए सेहत के लिए क्यों है...

अब मैदे की सफेद डबल रोटी के अलावा तरह तरह की डबल रोटियां नजर आने लगी हैं. ब्राउन ब्रेड को चोकर वाले आटे से बनाया जाता है. स्वाद फर्क होने के साथ ही इसे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद समझा जाता है. मिल्क ब्रेड और फ्रूट ब्रेड मैदे से ही बनती हैं, पर बच्चे इन्हें चाव से खाते हैं.
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