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गृहणियों के काम के महत्व को कम न आंकें

गृहणियां दुनिया की सबसे बड़ी कार्यशक्ति हैं, जो बिना किसी प्रोत्साहन के काम करती हैं. बदले में उन्हें अवांछित उपहास और ताने मिलते हैं.

परिपक्व आयु में ही हो लड़कियों का विवाह

आज भी देश में, विशेषकर ग्रामीण अंचलों में, माता-पिता बच्ची के 18 साल होने की प्रतीक्षा करते हैं और इस आयु में आते ही उसकी शादी कर देते हैं. इस आयु तक उनकी कॉलेज की शिक्षा पूरी नहीं हो पाती है. विवाह की आयु सीमा बढ़ाने पर माता-पिता उसकी शिक्षा पर अधिक ध्यान देंगे.

महिला आरक्षण से समाज बदलेगा

पंचायती स्तर पर महिलाओं के नेतृत्व की स्वीकार्यता के लिए समाज को तैयार होने में समय लगा है, तो संसदीय राजनीति मे महिलाओं के नेतृत्व को स्वीकार करने में भी समय लगेगा.

स्त्री किसी की संपत्ति नहीं, समाज की शक्ति है

भारतीय परंपरा में स्त्री शक्ति, देवी, जन्मदात्री और अमेयविक्रमा (मां दुर्गा का वह रूप जो कभी पराजित नहीं होता) रही है. परंतु, कभी भी भूमि नहीं रही है, जिसकी रजिस्ट्री करवायी जाए, जिस पर कोई अपना दावा सिद्ध करे.

महिलाओं को संपत्ति में हिस्सा देना न्यायोचित

दुनियाभर में शोध से यह सिद्ध हो चुका है कि जिन महिलाओं के पास अपनी संपत्ति होती है, उनका आत्मविश्वास अधिक होता है. ऐसी महिलाएं अपने तथा अपने परिवार के बारे में निर्णय कर सकती हैं और अपनी संतानों में भी वही आत्मविश्वास प्रतिरोपित करती हैं. यह आत्मविश्वास उनकी घरेलू हिंसा से भी रक्षा करता है.

अंकों से सफलता के मापदंड तय नहीं होते

समय आ गया है कि इस विषय पर गंभीरता से विचार किया जाए और अंकों की गलाकाट प्रतियोगिता से इतर स्कूली शिक्षा का एक नया रूप गढ़ा जाए, जहां परीक्षा में अच्छे अंक पाने की रणनीति पर चर्चा न हो

प्रसिद्धि व धन के पीछे भागती युवा पीढ़ी

लोकप्रियता के पीछे भागती युवा पीढ़ी इस वास्तविकता से परिचित नहीं हैं कि छद्म प्रसिद्धि अल्प आयु लेकर जन्म लेती है और अपने पीछे छोड़ जाती है सामाजिक विलगाव और कुंठाएं.

ऑनलाइन गेम के आदी होते बच्चे

विचारक मार्शल मैक्लुहान ने अपने शोध में सिद्ध किया है कि दृश्य-श्रव्य माध्यम मस्तिष्क को आतंक फैलाने के लिए उकसाते हैं. इन खेलों का हिंसात्मक द्वंद्व बच्चों के मन में खीझ, गुस्सा और मारपीट भर देता है. परिणामस्वरूप, युवा होते बच्चे अपनी संवेदना खोने लगते हैं.

कम समय में प्रसिद्धि पाने का प्रयास

युवा पीढ़ी निरंतर इस खोज में रहती है कि वह ऐसा क्या अलग करे, जिससे सोशल मीडिया में, समाज में चर्चा का विषय बने. सोलोगेमी ताजा प्रकरण इससे अलग हटकर कुछ भी नहीं है.
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