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रवींद्रनाथ महतो

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संविधान से ही मिलेगा हर समाधान

समानता, बंधुत्व, कानून का शासन, संविधानवाद ऐसे मूल्य हैं जिन्हें मानव समाज ने बड़ी कुर्बानियों के बाद हासिल किया है और ये नैसर्गिक न्याय के मूल आधार हैं.

गांधी की न्यासिता : पुनर्निर्माण की राह

जो व्यक्ति आवश्यकता से अधिक संपत्ति एकत्र करता है, उसे अपनी पूर्ति के बाद, शेष संपत्ति का प्रबंध एक ट्रस्टी या न्यासी की तरह समाज कल्याण के लिए करना चाहिए़

खेत-खलिहानों से विकास की राह

राज्य सरकार ने कृषि एवं किसानों के हितों का ध्यान रखा है और आनेवाले वर्षों में इससे भी बेहतर प्रयासों की उम्मीद है.

सहयोग व समन्वय से समाधान

स्वास्थ्य क्षेत्र में ढांचागत विकास करने होंगे. सरकारी अस्पतालों में गुणात्मक बदलाव लाने होंगे और स्वास्थ्य कर्मियों को जनसंख्या के अनुसार समानुपातिक रूप से बढ़ाना होगा.

हूल : समानांतर सरकार गठन की पहली घटना

मार्ग प्रशस्त करते हुए ब्रिटिश शासन में ऐसी लकीरें खींच दीं, जो औपनिवेशिक शासन एवं स्वतंत्रता के उपरांत भी संताल आदिवासियों के वैभव एवं साहस का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित करता है.

भारतीय महिला हॉकी : जज्बे की जीत

देश और हमारे राज्य झारखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. आवश्यकता है खेल के क्षेत्र में ऐसा इकोसिस्टम तैयार करने की, जो स्वतः खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करे.

भोजन का अधिकार और भूख से आजादी

इस वर्ष सितंबर के राष्ट्रीय पोषण माह का थीम ‘सशक्त/सबल नारी, साक्षर बच्चा, स्वस्थ भारत’ था. इसके तहत बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं किशोरियों में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए एकीकृत एवं जमीनी दृष्टिकोण को अपनाया गया है.

1932 क्यों? : 22 वर्ष बाद औपनिवेशिक व्यवस्था को बदलने की हुई शुरुआत

कीनिया के प्रसिद्ध साहित्यकार न्गुगींवा थ्योंगो के अनुसार शासित समूह की संस्कृति, कला, इतिहास को नष्ट कर देना या जानबूझ कर उपेक्षा करना औपनिवेशिक शक्ति का सांस्कृतिक हथियार है़.
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