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टीबी पर नियंत्रण

Tuberculosis : विश्व स्वास्थ्य संगठन का दावा है कि दुनिया के 26 फीसदी टीबी मरीज भारत में हैं. भारत में 28 लाख टीबी के मामले रिपोर्ट हुए हैं. यह दुनिया के स्तर पर टीबी के कुल मामलों का 26 प्रतिशत है.

सब्सिडी में बड़ी कमी

Subsidy : देश में स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता 82 गीगावाट से अधिक हो चुकी है. भारत सरकार ने 2030 तक बिजली उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों यानी स्वच्छ ऊर्जा के योगदान को 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

कनाडा में उत्पात

Khalistani Attack On Hindu Temple : दुनिया में सबसे बड़ी प्रवासी संख्या भारतीय मूल के लोगों की है. वे जिस भी देश में हैं, वहां की प्रगति एवं समृद्धि में उनका सराहनीय योगदान है. इस कारण उन्हें बड़े सम्मान से देखा जाता है.

भारत की चेतावनी

India Canada Relations : कुछ दिन पहले ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यह आधिकारिक रूप से स्वीकार भी किया है कि उनके पास आरोपों के पक्ष में कोई सबूत नहीं है.

Ayurveda : आयुर्वेद को बढ़ावा

Ayurveda : वर्ष 2016 से आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है. इस दिवस पर होने वाले आयोजनों तथा आयुर्वेद के विकास के प्रयासों ने इस पद्धति को वैश्विक स्तर पर प्रचारित किया है. योग की तरह आयुर्वेद में भी विदेशियों की रुचि बढ़ती जा रही है.

डिजिटल अरेस्ट का खतरा

Digital Arrest : प्रधानमंत्री मोदी ने सलाह दी है कि ऐसे संदेहास्पद कॉल आने पर ‘रुको, सोचो और एक्शन लो’ के मंत्र को अपना चाहिए. अनजान व्यक्ति को अपने बारे में जानकारी देने से परहेज करना चाहिए और ऐसे कॉल को रिकॉर्ड करना चाहिए.

एक ऊंची उड़ान

Tata Aircraft Complex : वड़ोदरा परियोजना कई अर्थों में मिल का पत्थर है. पहली बार एक निजी कंपनी देश में स्थापित संयंत्र में सेना के लिए विमान निर्माण करेगी. ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों के लिए यह महत्वपूर्ण अवसर है.

बढ़ता शिक्षा निवेश

शिक्षा के संबंध में 2030 तक के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक की अपेक्षा है कि सरकारी खर्च देशों के बजट का 15 से 20 प्रतिशत होना चाहिए. भारत की यह उपलब्धि निश्चित रूप से उत्साहजनक है और आशा है कि आगामी वर्षों में इस निवेश में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी.

आपराधिक दुर्व्यवहार

Misbehavior With Medical Personnel : सर्वे में पाया गया है कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में सुरक्षा के समुचित उपाय नहीं हैं. यह जगजाहिर तथ्य है कि हमारे अस्पतालों में संसाधनों की कमी है. वहां बहुत से कामकाजी लोगों के लिए उठने, बैठने और लेटने की निर्धारित जगह भी नहीं होती.
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