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सतीश सिंह

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अर्थव्यवस्था मजबूत करते सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम

अमूमन निजी क्षेत्र आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए आगे नहीं आते हैं. इसलिए सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का गठन किया.

भारत में साइबर अपराध का बढ़ता दायरा

आजकल साइबर अपराधी कॉल या मैसेज से लोगों को बिना कर्ज लिये ही कर्जदार बताकर वसूली कर रहे हैं. ऐसी ब्लैकमेलिंग छोटी राशि के लिए ज्यादा की जा रही है, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर लोग पुलिस में शिकायत नहीं करें.

सोने की कीमत में बढ़त बने रहने के आसार

पांच मार्च को 24 कैरेट सोने की कीमत 66,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर गयी, जो अब तक की अधिकतम कीमत है.

मजबूत हो रही भारतीय अर्थव्यवस्था

'द इंडियन इकोनॉमी: ए रिव्यू' रिपोर्ट में मोदी सरकार के पिछले 10 वर्षों के सफर को आर्थिक सुधारों के संदर्भ में बहुत अहम बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में नॉमिनल जीडीपी के सात प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी के 7.3 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ने का अनुमान जताया गया है.

मजबूत बनी रहेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार विगत 23 वर्षों में भारत में 919 अरब डॉलर का एफडीआइ आया है, जिसमें से 65 प्रतिशत निवेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में आया है. भारत में बैंक खाताधारकों की संख्या 50 करोड़ हो गयी है, जो 2014 में महज 15 करोड़ थी.

क्रिप्टो से ठगी का बढ़ता दायरा

दुनिया भर में जिस रफ्तार से डिजिटलाइजेशन हो रहा है, क्रिप्टो करेंसी के प्रसार को रोका नहीं जा सकता है. हालांकि भारत जैसे अनेक देश हैं, जहां क्रिप्टो करेंसी की संकल्पना से ज्यादातर लोग अनजान हैं. फिर भी इसकी स्वीकृति बढ़ने की उम्मीद है.

जारी रहेगा शेयर बाजार में उछाल

महामारी, भू-राजनीतिक संकट, रूस-यूक्रेन युद्ध आदि की वजह से विकसित देशों में शेयर बाजार की हालत खस्ता है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी नरमी बनी हुई है और कुछ देशों में मंदी के आसार बने हुए हैं, लेकिन इसके विपरीत भारतीय शेयर बाजार लगातार चमकीला होता जा रहा है.

विदेशी निवेशकों से उछल रहा सेंसेक्स

भारत की ओर रुख करते विदेशी निवेशकों की वजह से चीन की परेशानी बढ़ रही है. विदेशी निवेशक चीन के शेयर बाजार से लगातार पैसा निकाल रहे हैं.

अमेरिकी बैंकों के डूबने का असर भारत में नहीं

एसवीबी और सिग्नेचर बैंक के डूबने से यह भी साफ हो जाता है कि इनका प्रबंधन सही तरह से अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन नहीं कर रहा था. उन्होंने यह ध्यान नहीं दिया कि जमाकर्ता और कर्जदार मोटे तौर पर एक ही उद्योग तक सीमित हैं, जो बैंकिंग के मूल सिद्धांत के उलट है.
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