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सतीश सिंह
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Opinion
आर्थिक विषमता चिंताजनक
जरूरत है कि सरकार गरीबों एवं अमीरों के बीच बढ़ती हुई खाई को पाटने के लिए कारगर उपाय करे, अन्यथा आनेवाले दिनों में यह और भी चौड़ी होगी, जो आम आदमी और भारत जैसे लोक-कल्याणकारी देश के लिए सही नहीं होगा.
Opinion
बैंकिंग में सुधार पर जोर
बजट में समावेशी विकास के वाहक आधारभूत संरचना, खास करके ग्रामीण आधारभूत संरचना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, बैंकिंग क्षेत्र, एमएसएमई क्षेत्र आदि को मजबूत बनाने पर विशेष जोर
दिया गया है.
Opinion
मौद्रिक समीक्षा में विकास पर जोर
गवर्नर श्री शक्तिकांत दास के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 10.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकता है. उनका मानना है कि अर्थव्यवस्था में सुधार साफ तौर पर दिख रहा है.
Opinion
तेल की कीमतों का अर्थशास्त्र
सरकारें उत्पाद कर या वैट कम करने के मूड में नहीं हैं. उन्हें अपने राजस्व में कमी आने का डर है. राज्यों में अलग-अलग दरों के वैट होने से पेट्रोल और डीजल की कीमते ं अलग-अलग होती हैं.
Opinion
मर्ज की दवा नहीं निजीकरण
सरकारी बैंकों के निजीकरण के मूल में कोरोना काल में सरकारी राजस्व में भारी कमी आना है. सरकार विनिवेश के जरिये इस कमी को पूरा करना चाहती है.
Opinion
अर्थव्यवस्था में हो रहा सुधार
वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी में आठ प्रतिशत की दर से और जीवीए में 6.5 प्रतिशत की दर से गिरावट आयी थी, जबकि वित्त वर्ष 2022 में जीडीपी में 11 प्रतिशत की दर से और नॉमिनल जीडीपी में 15 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो सकती है.
Opinion
उत्साहजनक कर संग्रहण
मार्च में जीएसटी के संग्रह के शानदार आंकड़े और सकल व्यक्तिगत आयकर (रिफंड सहित) में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि होना देश में आर्थिक गतिविधियों के रफ्तार पकड़ने के प्रमाण हैं.
Opinion
भ्रष्टाचार पर रोक के सतत प्रयास
भारत में भ्रष्टाचार में कमी आती है, तो विकास को भी बल मिलेगा. मौजूदा समय में भी भ्रष्टाचार कम होने के सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं. विकास को गति मिल रही है. सुशासन पर लोगों का विश्वास भी बढ़ रहा है.
Opinion
वित्तीय बदलावों से जुड़ी उम्मीदें
मूल वेतन बढ़ने से निजी कर्मचारियों के भविष्य निधि और ग्रेच्युटी में योगदान बढ़ जायेगा, जिसका फायदा कर्मचारियों को सेवानिवृत होने पर मिलेगा.