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सुरेश पंत

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दक्षिण भारतीय शब्द ‘अइयो रामा!’

हिंदी, अंग्रेजी या किसी भी भाषा में दक्षिण भारतीय भाषाओं में, विशेषकर तमिल में प्रयुक्त ‘अइयो’ के समतुल्य आश्चर्य बोधक शब्द उपलब्ध नहीं है, जो अकेला हर प्रकार के भय, विस्मय, शोक या प्रसन्नता के भाव को व्यक्त कर सके.

वीर, वीरांगना और वीर-पत्नी

नयी परिस्थितियों में मीडिया उन महिलाओं को भी वीरांगना कहते देखा जा रहा है, जिनके पति युद्ध भूमि में देश के लिए सर्वोच्च त्याग कर शहीद हो गये. नि:संदेह उन वीर योद्धाओं ने मातृभूमि के लिए सबसे बड़ा त्याग किया.

क्या हम ‘नकसुरे’ हो रहे हैं!

परिणाम यह हुआ है कि आदेशार्थक क्रियापद के /-ओ/ को भी नाक लग गयी और बच्चों! आओं, बैठों, पढ़ों जैसे क्रिया के रूप भी दिखाई पड़ रहे हैं.

हमारे संचार माध्यमों की हिंदी

भाषा की मर्यादा से किसी तरह का कोई समझौता न हो. उसके लिए पत्रकार एवं लेखक व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में गंभीर अध्ययन करते थे, ताकि भाषा के स्थापित मानकों के साथ कोई समझौता न हो. आज पाठकों का आयुवर्ग, सामाजिक दायरा, रुचियां, प्राथमिकताएं बदल गयी हैं.

हिंदी भाषा : मानक और प्रचलन

हिंदी सर्वनामों के कुछ प्रयोगों में ‘ने’ के बारे में न केवल एकरूपता नहीं है, वरन उनमें कोई तार्किक या व्याकरणिक आधार भी नहीं दिखता.

आलोचना नहीं, आत्मावलोकन

शुद्ध हिंदी की खोज करना जैसे आकाश कुसुम की खोज करना है. शुद्ध हिंदी का कोई मानक सर्वमान्य रूप से तय नहीं है. बहुत संभव है कि जिसे हम अशुद्ध हिंदी कहते हैं, वह आंचलिक हिंदी हो उन क्षेत्रीय स्रोतों से जल ग्रहण कर रही हो, जो हिंदी को अमृत देते हैं.

भारतीय समाज में ‘चौधरी’ सम्मानसूचक

संपूर्ण दक्षिण एशियाई महाद्वीप में बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान तक चौधरी खानदान मिलेंगे. इनमें अनेक चौधरी परिवार बहुत प्रतिष्ठित हैं और अपने-अपने देशों के प्रतिष्ठित पदों पर रहे हैं. सुदूर फिजी में भी भारतीय मूल के महेंद्र पाल चौधरी प्रधानमंत्री बने थे.

रोजगारपरक शिक्षा का माध्यम बने हिंदी

रोजगार के बाजार में अंग्रेजी की मांग अधिक है, किंतु यह भी सत्य है कि व्यवस्था ने अन्य भाषाओं के ढांचे को ऐसा नहीं बनाया कि उन्हें भी बाजार में ऐसी ही पैठ प्राप्त हो.
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