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सुरेश पंत

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Hindi Diwas 2024 : हिंदी और हमारा बड़बोलापन, पढ़ें सुरेश पंत का खास लेख

Hindi Diwas 2024 : देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है. हिंदी का अमृत काल तो पूरा होने को है. पर संविधान ने हिंदी के प्रचार-प्रसार का दायित्व जिसे सौंपा है, उससे कोई नहीं पूछता कि इतने सारे आयोजनों के बाद भी सफलता मिली कितनी है.

गाली देने की दुर्योधनी कला

Language Culture : समाज विज्ञानी गाली के शास्त्र को समाज के मनोविज्ञान से भी जोड़ते हैं. कुछ लोग गाली देने के स्वभाव को अशिक्षित और पिछड़े होने से जोड़ते हैं. एक सीमा तक यह सही हो सकता है, परंतु यदि पूर्ण सही होता, तो शिक्षित, शिष्ट और आदर्श समाज में गाली के लिए कोई स्थान नहींं होना चाहिए, पर हम जानते हैं कि ऐसा केवल कल्पनाओं में होता है.

कांवड़ : तब और अब के बीच का अंतर

'कांवड़' मूलतः वह बांस है, जिसके दोनों सिरों पर भार ढोने के लिए दो छींके लटके होते हैं. कांवड़ के सिरों पर भार को संतुलित कर बांस को कंधे पर रखकर ढोया जाता है. समूचे उपकरण का नाम कहीं बहंगी भी है, जिसे कांवड़ भी कहा जाता है.

मंदिरों की स्वच्छता की बड़ी पहल

बड़े मंदिरों से नित्य निकलने वाले निर्माल्य की मात्रा बहुत अधिक होती है. इसलिए उसका संग्रहण और परिचालन सरल होता है और उन पर आधारित उद्योग चलाने में लागत भी कम आती है, किंतु छोटे मंदिरों में इतना निर्माल्य नहीं होता, जिस पर कोई छोटा उद्योग चल सके.

विग्रह देवताओं के होते हैं, व्यक्ति के नहीं

किसी देवी-देवता की मूर्ति जब शास्त्रोक्त विधि से मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठित हो जाती है, तब उसे अमुक देवता का विग्रह कहा जाता है. किसी व्यक्ति या प्राणी की मूर्ति को विग्रह नहीं कहा जाता है. इसे इस प्रकार समझा जा सकता है कि मूर्ति यदि किसी देवी-देवता, राजनेता या विशिष्ट व्यक्ति की होती है.

चिरकुट के भिन्न-भिन्न अर्थ पर चर्चा

'चिरकुट' लंबे समय से देश के कुछ अंचलों में सामान्य जन का अपना शब्द बना हुआ है, शत-प्रतिशत लोक शब्द. कुमाऊंनी, नेपाली, अवधी, भोजपुरी, मगही, मैथिली में चिरकुट का व्यापक प्रयोग मिलता है. हिंदी, उर्दू, मराठी, बांग्ला, ओड़िया में भी इस रोचक शब्द का प्रयोग होता है..

हलंत के कांटे और विसर्गों के पत्थर

अज्ञान दोष नहीं है और भ्रम होना भी स्वाभाविक है. किसी शब्द की वर्तनी और भाषा प्रयोग के संबंध में अज्ञान और भ्रम को दूर किया जा सकता है. सौभाग्य से जानकारी बढ़ाने के लिए आज अनेक व्याकरण पुस्तकें तथा 'आकाशीय' स्रोत, साधन उपलब्ध हैं.

ओम् शब्द को लेकर निराधार है विवाद

ॐ हिंदू समेत विभिन्न धर्मों का पवित्र चिह्न है. हिंदू (वैष्णव, शैव , शाक्त, तांत्रिक आदि), जैन, बौद्ध, सिख जैसे धर्मों में ॐ या ओम् अथवा ओंकार की ध्वनि को पवित्र माना जाता है. ॐ शांति का प्रतीक माना गया है. यह शब्द हमारे मन के अंदर है और बाहर आकाश में भी.

सावन का विशेष मिष्ठान्न : घेवर

घी से भरपूर होने के कारण संस्कृत में घेवर को 'घृतपूर' कहा गया है. व्युत्पत्ति है, 'घृतेन पूर्य्यते इति घृतपूरः.' आचार्य हेमचंद्र के अनुसार पिष्टपूर, घृतवर, घार्त्तिक भी घेवर के पर्याय हैं.
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