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सुशांत सरीन

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जम्मू-कश्मीर में प्रभावी रणनीति की जरूरत

जम्मू क्षेत्र में 15-20 वर्षों से बड़ी आतंकी वारदातें नहीं हो रही थीं, तो यह मान लिया गया कि यहां पर आतंकवाद की समस्या का समाधान कर लिया गया है.

पाकिस्तान से व्यापार घाटे का सौदा

असल बात यह है कि आज पाकिस्तान आर्थिक रूप से तबाह हो चुका है और निकट भविष्य में स्थिति में सुधार की कोई आशा भी नहीं है. इसीलिए वे अपने फायदे के लिए भारत से व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने के इच्छुक हैं.

पाकिस्तान बना रहा फौजियों को आतंकी

मुठभेड़ों से संकेत मिलता है कि घुसपैठियों को सैनिक प्रशिक्षण मिला है. आम तौर पर आतंकियों के पास इस तरह का प्रशिक्षण नहीं होता और न ही उनमें ऐसा अनुशासन होता है.

सेना की शह पर पाकिस्तान लौटे नवाज

सेना भले उन्हें गद्दी पर बिठाना चाहती हो, लेकिन उसे इस बात का भरोसा नहीं है कि कहीं नवाज फिर से पलट न जाएं. पिछले तीनों कार्यकालों में नवाज की विदाई फौज के साथ टकराने की वजह से हुई.

एससीओ बैठक में भारत का कड़ा संदेश

एससीओ की शिखर बैठक में पीएम मोदी ने एक बार फिर से आतंकवाद को चर्चा का केंद्र-बिंदु बनाया. यह एक दुरुस्त कदम था, क्योंकि वे ऐसा कर न केवल इस मुद्दे को चर्चा के केंद्र में ले आये, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद के मुद्दे को पूरी तरह से सुलझाए बिना सहयोग और संपर्क की बातों का कोई अर्थ नहीं है.

गोवा में पाकिस्तान का पुराना राग

दोनों देशों के बीच जो मौजूदा माहौल है, वह सबके सामने है. ऐसा कोई संकेत भी नहीं दिख रहा है, जिससे संवाद हो पाने की कोई उम्मीद जगे. मेरी राय में पाकिस्तान के पास मजबूरी भी है कि वे बहुत कमजोर हो चुके हैं, लेकिन वे भारत और दुनिया के सामने यह संकेत भी नहीं देना चाहते हैं कि पाकिस्तान झुक गया है

पुंछ हमले की ठोस प्रतिक्रिया जरूरी

जब भी पुंछ जैसी घटना होती है, तो हमारे यहां कश्मीर को लेकर हाय-तौबा मच जाती है, पर वास्तविक स्थिति इससे भिन्न है. मुख्य बात यह है कि जब इस तरह के आतंकी हमले होते हैं और जिनमें साफ तौर पर विदेशी हाथ है, तो हमारी प्रतिक्रिया क्या और किस तरह की होती है

चिंताजनक होते पंजाब के हालात

पंजाब में नशीले पदार्थों का कारोबार बढ़ा और उसी के साथ वहां गिरोह बनने लगे, उस पर भी निगरानी होनी चाहिए थी कि कैसे इन सबका संबंध आतंकवाद के साथ बन रहा है. यह बात केवल पंजाब पर ही लागू नहीं होती. दुनियाभर में नशे के कारोबार, हथियारों की तस्करी जैसी गतिविधियों का नेटवर्क आतंक से जुड़ा होता है.

अन्य बड़े खतरों पर भी नजर रहे

वायरस के खिलाफ लड़ाई तो जारी रखनी ही है, लेकिन जो दूसरा वायरस है छोटे स्तर का और जो इसके खत्म होने के बाद बरकरार रहेगा- कट्टरपंथ का या अलगावाद का वायरस- उस पर भी नजर रहे.
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