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उमेश चतुर्वेदी

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लोकसभा चुनाव में जीत के बावजूद भाजपा के लिए झटका

भाजपा अपने दम पर ढाई सौ का आंकड़ा भी पार करती नहीं दिख रही है. भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीद जिस उत्तर प्रदेश से रही है, वहां वह चालीस से भी नीचे जाती दिख रही है.

चुनाव में वादों के बाद अब दावों का दौर

संसद सत्र के आखिरी दिन अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने अबकी बार चार सौ पार का नारा दिया. तीन चरणों के चुनाव तक उन्होंने चार सौ पार का नारा खूब दोहराया.

केजरीवाल की जमानत और चुनाव

केजरीवाल का प्रभाव दिल्ली और पंजाब में है. उन्हें अंतरिम जमानत ऐसे समय में मिली है, जब दोनों राज्यों में चुनाव प्रचार चरम पर है. केजरीवाल के बाहर आने के बाद इस प्रचार में और गरमी आयेगी.

राजनीति में एआइ का खतरनाक हस्तक्षेप

राजनीति की दुनिया नैतिकता की सबसे ज्यादा बात करती है. राजनीति ही कानूनों और नियमों का आधार बनाती है. चूंकि फेक बयान के मामले में शक राजनीति पर ही है और प्रभावित राजनीति ही है

लोकसभा चुनाव में नक्सलवाद का मुद्दा

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार सात राज्यों के पैंतीस जिले ऐसे हैं, जहां नक्सलियों का असर है. इन जिलों की करीब पचास लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिन्हें नक्सल प्रभावित माना जाता है.

चुनाव में महिला वोट बैंक को लुभाने की होड़

महिलाएं अब पहले की तरह अपने घर के पुरुषों की पसंद वाले दलों और प्रत्याशियों को वोट नहीं दे रहीं, बल्कि अपनी पसंद वाले प्रत्याशी और दल को वोट दे रही हैं.

सियासत के मंच पर फिल्मी सितारे

सियासत की दुनिया में सिनेमाई सितारों की फेहरिस्त लंबी है. पार्टी चाहे जो हो, पर दक्षिण को छोड़ दें, तो ज्यादातर सितारों का चयन इसलिए नहीं हुआ कि वे राजनीतिक भूमिका निभा पायेंगे

दलबदल की राजनीतिक संस्कृति

आज के दौर में राजनीति के लिए प्रमुख शर्त वैचारिक प्रतिबद्धता कहीं खो गयी है. पहला मकसद चुनाव जीतना भर रह गया है. इस दौर की राजनीति के लिए सत्ता साध्य बन चुकी है, साधन तो खैर वह है ही.

चुनाव में दांव पर विपक्ष की साख भी है

जब कांग्रेस की आज की तुलना में ज्यादा ताकतवर बहुमत की सरकारें होती थीं, तब डॉ राम मनोहर लोहिया, मधु लिमये, पीलू मोदी आदि जैसे कुछ विपक्षी सांसदों के चलते सरकारें अक्सर सवालों के घेरे में आ जाती थीं.
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