भारत में कम से कम 54 प्रतिशत लोग तथ्यात्मक जानकारी की तलाश में सोशल मीडिया (Social Media) का रुख करते हैं. यह जानकारी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (Oxford University Press) के एक वैश्विक अध्ययन में सामने आयी है. अध्ययन नीत अभियान ‘द मैटर ऑफ फैक्ट’ (The Matter of Fact) ने इस बात की समझ के स्तर को देखा कि सत्य की पहचान और स्रोतों की पुष्टि कैसे की जाती है.
अध्ययन में कहा गया है कि गलत सूचनाओं और झूठे दावों को लेकर चिंताओं के बावजूद, दुनिया भर के सोशल मीडिया यूजर्स का मानना है कि जो जानकारी वे ट्विटर (Twitter), इंस्टाग्राम (Instagram) और फेसबुक (Facebook) जैसे प्लेटफॉर्म पर पढ़ते और साझा करते हैं, वह तथ्यात्मक रूप से सही होती है. वहीं, उभरती अर्थव्यवस्थाओं में विश्वास का स्तर सबसे अधिक होता है.
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निष्कर्ष के अनुसार, जब तथ्यात्मक जानकारी की तलाश की बात आती है, तो 37 प्रतिशत लोग सोशल मीडिया का रुख करते हैं. मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका के लोगों के मामले में यह 43 प्रतिशत और भारतीयों के मामले में 54 प्रतिशत है. वहीं, ब्रिटेन के लोगों द्वारा सोशल मीडिया का उपयोग करके तथ्यों की तलाश करने की संभावना कम होती है, क्योंकि केवल 16 प्रतिशत इसे एक पसंदीदा स्रोत बताते हैं, जबकि अमेरिकियों के मामले में करीब 29 प्रतिशत इसका इस्तेमाल करते हैं.
कुल मिलाकर, विश्व भर में लोग अधिकांश जानकारी के लिए गूगल (Google) और अन्य सर्च इंजन (Search Engines) पर बहुत अधिक भरोसा करते हैं. दुनिया भर में दो तिहाई (67 प्रतिशत) और ब्रिटेन में 62 प्रतिशत लोग इस तरह से तथ्य की तलाश करते हैं. तीन-चौथाई लोग इससे आश्वस्त होते हैं कि वे सोशल मीडिया से जो जानकारी साझा करते हैं, वह सटीक होती है. भारत में, सोशल मीडिया से जानकारी साझा करने वाले 87 प्रतिशत लोग इसकी सत्यता में विश्वास रखते हैं, जो वैश्विक औसत तीन तिहायी से थोड़ा अधिक है.