ऑटोमोटिव टायर निर्माता संघ (ATMA) ने मंगलवार को कहा कि भारत में कबाड़ टायरों के आयात पर रोक लगाने की जरूरत है क्योंकि देश कबाड़ टायरों का ‘डंपिंग ग्राउंड’ बन रहा है. ATMA ने वित्त मंत्रालय को बजट पूर्व प्रस्तुति में कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 से भारत में कबाड़ टायरों का आयात पांच गुना से अधिक बढ़ गया है.
पर्यावरण और सुरक्षा को लेकर चिंता
संघ ने कहा, “कबाड़ टायरों का इस तरह का अंधाधुंध आयात न केवल पर्यावरण और सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है बल्कि जुलाई 2022 से लागू कचरा टायरों पर विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी (ईपीआर) नियम के उद्देश्य को भी कमजोर करता है.”
एटीएमए के अध्यक्ष अर्नब बनर्जी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “भारत में कबाड़ टायरों के आयात को नीतिगत उपायों के माध्यम से प्रतिबंधित करने की आवश्यकता है और यदि आवश्यक हो तो केवल कई बार कटे या कटे हुए रूप में ही इसकी अनुमति दी जानी चाहिए.”
Also Read: Bajaj Freedom 125 CNG की दुनिया भर में डिमांड, भारत समेत इन 6 देशों में होगी बिक्री
भारत दुनिया में अग्रणी टायर निर्माताओं में से एक
भारत दुनिया में अग्रणी टायर निर्माताओं में से एक के रूप में उभरा है और देश में सालाना 200 मिलियन से अधिक टायरों का घरेलू उत्पादन होता है. उन्होंने कहा कि तदनुसार, देश में पर्याप्त घरेलू जीवन चक्र के अंत वाले टायर (ईएलटी) क्षमता उपलब्ध है.
एटीएमए ने कहा कि भारत कबाड़ टायरों के लिए ‘डंपिंग ग्राउंड’ बनने की राह पर है. अकेले वित्त वर्ष 24 में देश में लगभग 14 लाख मीट्रिक टन कबाड़ टायर आयात किए गए. इन टायरों को या तो प्रतिस्थापन बाजार में फिर से बेचा जाता है जिसके परिणामस्वरूप असुरक्षित यात्रा होती है या जलाने से पर्यावरण क्षरण होता है.
Also Read: Hybrid Car खरीदने वालों को इस राज्य ने दी सौगात, रजिस्ट्रेशन टैक्स पूरी तरह किया माफ
पूर्ण बजट में ATMA ने रखी मांग
अपनी बजट इच्छा सूची में, ATMA ने देश में घरेलू मांग-आपूर्ति अंतर की सीमा तक प्राकृतिक रबर (एनआर) के शुल्क मुक्त आयात की भी मांग की.
इसमें कहा गया है, “टायर उद्योग की लगभग 40 प्रतिशत एनआर की आवश्यकता आयात के माध्यम से पूरी होती है क्योंकि घरेलू रूप से निर्मित एनआर उपलब्ध नहीं है. भारत में एनआर के आयात पर सबसे अधिक शुल्क दर उद्योग की प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करती है.”
ATMAने अपनी प्रमुख कच्ची सामग्री, प्राकृतिक रबर के खिलाफ टायरों की उलटी शुल्क संरचना के मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर हल करने की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया.
इसमें दावा किया गया है, “जबकि टायरों पर मूल सीमा शुल्क 10-15 प्रतिशत है, मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत, टायर देश में कम शुल्क (अधिमान्य शुल्क) पर आयात किए जाते हैं, जबकि इसकी प्रमुख कच्ची सामग्री, यानी प्राकृतिक रबर पर मूल सीमा शुल्क बहुत अधिक है (25 प्रतिशत या 30 रुपये प्रति किलो, जो भी कम हो).”
Also Read: Top 160cc Bikes: सालों से भारतीय युवाओं के दिलों पर राज कर रही है ये तीन 160cc बाइक