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Electric Car की बैटरी लाइफ कितने दिनों की होती है?

Electric Cars की बैटरी लिथियम-आयन सेल से बनी होती है, जिसका इस्तेमाल मोबाइल फोन की बैटरी बनाने में भी किया जाता है. ये बैटरी सालों में खराब होती रहती हैं, इन्हें चार्ज होने में ज्यादा समय लगता है और पुरानी होने पर कम चलती हैं. यह प्रक्रिया इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी के साथ भी होती है, जिससे गाड़ी की चार्जिंग क्षमता और चलने की दूरी कम हो जाती है.

Electric Car: Electric Vehicle खरीदने वालों के लिए सबसे यहां सवाल बैटरी की लाइफ है, खासकर इसकी लागत के कारण. एक नए अध्ययन में इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी के जीवन का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि अगर गाड़ी की सही देखभाल की जाए तो बैटरी की गिरावट को कम से कम रखा जा सकता है. इस अध्ययन में 15,000 इलेक्ट्रिक कारों पर विश्लेषण किया गया, जिनमें ज्यादातर अमेरिका की टेस्ला, हुंडई, जगुआर, ऑडी और निसान जैसी कंपनियों की गाड़ियां शामिल थीं.

Electric Cars की बैटरी लिथियम-आयन सेल से बनी होती है, जिसका इस्तेमाल मोबाइल फोन की बैटरी बनाने में भी किया जाता है. ये बैटरी सालों में खराब होती रहती हैं, इन्हें चार्ज होने में ज्यादा समय लगता है और पुरानी होने पर कम चलती हैं. यह प्रक्रिया इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी के साथ भी होती है, जिससे गाड़ी की चार्जिंग क्षमता और चलने की दूरी कम हो जाती है. लेकिन अध्ययन में दावा किया गया है कि ICE कार मालिकों की तुलना में इलेक्ट्रिक कार मालिकों को इस बात की कम चिंता करने की ज़रूरत है कि उनकी गाड़ी कितनी चलेगी.

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अध्ययन में बताया गया है कि इलेक्ट्रिक कार की बैटरी का जीवनकाल काफी हद तक कार के मेक और मॉडल पर निर्भर करता है. पुरानी पीढ़ी की लिथियम-आयन बैटरी वाली इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी उतनी नहीं चल पाएंगी, जितनी कि नई इलेक्ट्रिक कारों में आने वाली लेटेस्ट बैटरी चलती हैं. इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी की टेक्नोलॉजी लगातार बेहतर हो रही है ताकि उन्हें लंबे समय तक चलाया जा सके और नतीजे हर मॉडल के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं. अध्ययन में बताया गया है कि निसान लीफ और टेस्ला मॉडल एस जैसी पुरानी इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी को बदले जाने की संभावना ज़्यादा है, जबकि हुंडई आयनिक 5 जैसी नई पीढ़ी की इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी ज्यादा चलेंगी.

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अध्ययन के अनुसार, एक इलेक्ट्रिक कार की बैटरी जिसे बदलवाने की लागत करीब 70 फीसदी तक हो सकती है, विश्लेषण में शामिल किसी भी मॉडल में बहुत कम ही बदली गई है. अध्ययन में बताया गया है कि सिर्फ 1% मॉडलों, जिनमें शेवरले बोल्ट ईवी जैसी कारें शामिल हैं, में ही बैटरी बदलने की ज़रूरत पड़ी है.

भारत में, ICE कारों के लिए जीवन चक्र को पेट्रोल मॉडल के लिए 15 साल और डीजल मॉडल के लिए 10 साल निर्धारित किया गया है. अध्ययन में बताया गया है कि नई इलेक्ट्रिक कारों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी डीजल कारों से ज्यादा चलने की संभावना है. अगर सही देखभाल की जाए तो ये और भी ज्यादा चल सकती हैं. हालांकि, जहां तक इलेक्ट्रिक वाहन सेक्टर की बात है, अभी शुरुआती दौर है, इसलिए इस बात का कोई ठोस अनुमान नहीं है कि एक इलेक्ट्रिक कार कितने समय तक चल सकती है. अध्ययन में बताया गया है कि इलेक्टिक वाहन की बैटरी की देखभाल करने से उसका जीवनकाल अधिकतम तक बढ़ाया जा सकता है.

अध्ययन में इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी का जीवनकाल बढ़ाने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिनमें बैटरी को अत्यधिक गर्मी से बचाना, उन्हें बार-बार ओवरचार्ज न करना, डिस्चार्ज की गहराई कम रखना या बैटरी को न्यूनतम से नीचे जाने से पहले रिचार्ज करना शामिल है.

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