JSW MG Motor India के CEO राजीव छाबा ने कहा है कि भारत में यात्री वाहनों पर मौजूदा GST दर संरचना काफी पुरानी हो चुकी है. इसे मोटर वाहन उद्योग में हो रहे नए घटनाक्रमों के अनुरूप बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार को मोटर वाहन क्षेत्र पर नीतियां बनाते समय वाहनों से होने वाले उत्सर्जन, आयात बिल में कमी, सतत स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला और स्वामित्व की कुल लागत के समग्र परिप्रेक्ष्य पर विचार करना चाहिए.
केंद्रीय बजट से पहले हाइब्रिड वाहनों को कर प्रोत्साहन दिए जाने पर विचार किए जाने की अटकलों के बीच उन्होंने कहा कि केवल मजबूत ‘प्लग-इन’ हाइब्रिड वाहन पर ही ऐसे लाभ के लिए विचार किया जाना चाहिए, जिनमें परंपरागत इंजन से स्वतंत्र बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन के रूप में चलने की क्षमता हो.
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छाबा ने कहा, ‘पहले हमने कहा था कि कार का आकार चार मीटर से कम होगा. हमने कहा था कि 1.2 लीटर इंजन, 1.5 लीटर इंजन होगा और उसके आधार पर हमारे पास जीएसटी संरचना व्यापक थी. मुझे लगता है कि अब यह बीते दिन की बात हो गई है.’
वर्तमान में चार मीटर तक लंबे और 1200 सीसी पेट्रोल इंजन वाले हाइब्रिड पीवी या चार मीटर तक लंबे तथा 1,500 सीसी डीजल इंजन वाले हाइब्रिड यात्री वाहन (पीवी) पर बिना किसी उपकर के 28 प्रतिशत जीएसटी दर लागू है. वहीं चार मीटर से अधिक या 1,200 सीसी पेट्रोल इंजन वाले हाइब्रिड पीवी या 1,500 सीसी डीजल इंजन वाले हाइब्रिड पीवी पर 15 प्रतिशत उपकर के साथ 28 प्रतिशत जीएसटी दर लागू है.
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छाबा ने पूछा, ‘क्या हम संपूर्ण नीति निर्माण में क्रांति ला सकते हैं? क्या हम देश और उपभोक्ता के लिए जो महत्वपूर्ण है, उससे शुरुआत कर सकते हैं?’ उन्होंने कहा, ‘जीएसटी दरें देश के लिए महत्वपूर्ण चीजों पर आधारित होनी चाहिए जैसे कार की पर्यावरण अनुकूलता, आयात बिल को बचाने के लिए प्रयुक्त प्रौद्योगिकी की क्षमता, स्वतंत्र आपूर्ति श्रृंखला के साथ स्थानीयकरण तथा स्वामित्व की कम कुल लागत.’
उन्होंने कहा, ‘तभी आप नीति बनाते हैं. उस नीति के आधार पर, यदि इलेक्ट्रिक वाहन सर्वश्रेष्ठ है, तो उसपर पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा.’ उन्होंने कहा कि यदि सीएनजी (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) अच्छी है, तो उसे पेट्रोल तथा डीजल पर कुछ वरीयता दी जाएगी. छाबा ने सुझाव दिया, ‘पेट्रोल की तुलना में मजबूत हाइब्रिड को अधिक प्राथमिकता दी जाएगी और ईवी सर्वोत्तम होगा.’
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