Car: भारत में हर साल विभिन्न कारणों से कारों की कीमतें बढ़ती जा रही हैं. इन बढ़ती कीमतों का एक प्रमुख कारण उत्सर्जन मानक (Emission Standards) हैं. भारत की ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) वाहन निर्माताओं को अगले तीन वर्षों में कार्बन उत्सर्जन को एक तिहाई कम करने के लिए कह रही है, नहीं तो उन्हें दंड का सामना करना पड़ेगा. यह दंड कॉर्पोरेट ऐवरेज फ्यूल एफिशिएंसी मानकों के तीसरे चरण के तहत लगेगा.
बीईई द्वारा उठाया गया अंतिम कदम भारत स्टेज 6 (बीएस6) था. यह अप्रैल 2020 में लागू हुआ था और उसके बाद अप्रैल 2023 में भारत स्टेज 6 आरडीई लागू हुआ, जो वास्तविक समय में वाहनों के उत्सर्जन को मापता है.
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इसका अगला चरण सीएएफई 3 और सीएएफई 4 उत्सर्जन मानक होंगे जो और भी सख्त हैं. सीएएफई 3 मानक अप्रैल 2027 से लागू होंगे और बीईई ने सीएएफई 3 और सीएफई 4 में क्रमशः 91.7 ग्राम सीओ2/किमी और 70 ग्राम सीओ2/किमी का प्रस्ताव दिया है. बीईई ने उद्योग जगत के हितधारकों से जुलाई के पहले सप्ताह तक अपनी टिप्पणी जमा करने को कहा है, जिसके बाद अंतिम दिशानिर्देश अधिसूचित किए जाएंगे.
एक उद्योग के कार्यकारी ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया, “न केवल सख्त सीएएफई 3 और सीएफई 4 मानकों को पूरा करने वाला वाहन विकसित करना चुनौती है, बल्कि इसकी कीमत ऐसी होनी चाहिए कि खरीदार मिलें. आप कम उत्सर्जन वाला वाहन तो बना सकते हैं, लेकिन अगर इसकी कीमत Affordable नहीं है, तो कोई इसे नहीं खरीदेगा और इसका कोई फायदा नहीं होगा. इससे कंपनी के सीएफई स्कोर पर असर पड़ेगा.”
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प्रस्ताव के अनुसार, अगर कारों की औसत ईंधन दक्षता प्रति 100 किमी में 0.2 लीटर तक अधिक हो जाती है, तो प्रति वाहन ₹25,000 का जुर्माना लगाया जाता है. यदि यह इससे अधिक हो जाता है, तो जुर्माना ₹50,000 प्रति वाहन है. सीएएफई मानक उन सभी वाहनों पर लागू होते हैं जिन्हें एक वाहन निर्माता बेच रहा है. निर्माताओं को समय सीमा चूकने पर भी जुर्माना भरना पड़ता है.
एक अन्य वरिष्ठ उद्योग कार्यकारी ने बताया कि “जबकि सरकार ने सीएफई 4 में परिवर्तन के लिए पांच साल का समय देने पर सहमति व्यक्त कर दी है, लेकिन निर्धारित लक्ष्य कठिन हैं. वाहन निर्माताओं को न केवल अगले तीन वर्षों में पूरे वाहन बेड़े के लिए Carbon Emission और Fuel की खपत को कम करना होगा, बल्कि इन मापदंडों को WLTP के अनुसार भी मापा जाएगा.”
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